सावन माह के अंतिम सोमवार पर प्रदोष का भी संयोग, जलाभिषेक के लिए शिव मंदिरों में उमड़े लोग 

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 RGA न्यूज़ बनारस

सावन का समापन 15 अगस्त को रक्षाबंधन के त्योहार के साथ हो जाएगा। इससे पहले भगवान शिव की भक्ति में डूबने का एक अहम मौका 12 अगस्त को मिल रहा है। ...

वाराणसी:- भगवान शिव के प्रिय माह सावन का समापन 15 अगस्त को रक्षाबंधन के त्योहार के साथ हो जाएगा। इससे पहले भगवान शिव की भक्ति में डूबने का एक अहम मौका 12 अगस्त को मिल रहा है। इस तारीख को सावन का आखिरी सोमवार है। साथ ही शुभ संयोग भी है। इस दिन शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी है। इस विशेष संयोग के भक्ति गंगा में गोता लगाने के लिए रविवार को ही लोग उमड़ पड़े थे। रात तक करीब 70 हजार लोगों ने दर्शन भी किया। सोमवार को भोर में मंगला आरती होने से पहले ही लंबी कतार लग गई थी। वहीं सोमवार दोपहर बारह बजे तक करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में दर्शन पूजन कर लिया था।

लाखों की भीड़ का अनुमान लगाते हुए जिला व पुलिस प्रशासन ने भी तैयारी पूरी कर ली थी। स्वास्थ्य महकमा के साथ ही सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम व जलकल विभाग भी मुस्तैद था। सावन के आखिरी सोमवार को प्रदोष व्रत के संयोग की मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही नहीं, इस दिन भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना करने से बड़ा संकट भी टल जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। हालांकि यह पूजा शाम को होती है।

प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है। इसे शुक्ल और कृष्ण दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी के दिन किया जाता है। इसलिए इसे तेरस भी कहा जाता है। ऐसे में जिस दिन भी प्रदोष व्रत होते हैं, उसकी महिमा अलग होती है। वैसे तो हर दिन का प्रदोष शुभ है लेकिन कुछ विशेष दिन बेहद शुभ और लाभदायी माने जाते हैं। इसमें सोमवार को आने वाले प्रदोष, मंगलवार को आने वाले भौम प्रदोष और शनिवार को पड़ने वाले शनि प्रदोष का महत्व अधिक है।

नगर में निकलीं शोभा यात्राएं

सावन के आखिरी सोमवार की पूर्व संध्या पर नगर के कई इलाकों में शोभा यात्राएं निकलीं। वरुणा क्षेत्र व्यापार मंडल की ओर से बाबा विश्वनाथ धाम के लिए कलश यात्रा प्रारंभ हुई। कलश यात्रा में बड़ा शिवलिंग की झाकी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र थे। यह यात्रा नदेसर, तेलियाबाग, लहुराबीर, चेतगंज, नई सड़क, गोदौलिया, होते हुए ज्ञानवापी पहुंची। शोभायात्रा में शामिल सभी लोगो ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। इसमें के प्रेम मिश्रा, श्रीनारायण खेमका, अजय गुप्ता, सोमनाथ विश्वकर्मा, विनय गुप्ता मोनू, प्रदीप चंद मोनू, विजय विश्वकर्मा, अमरनाथ विश्वकर्मा, जय, सोनू, अनूप गुप्ता आदि शामिल थे।

सावन का मेला, लगा है ठेलमठेला

सावन माह में दुर्गाकुंड, सारनाथ समेत कई देवालयों के पास मेला लगा हुआ है। मेले में झूला, चरकी आदि लगाए गए हैं। चाट-पकौड़ी, बिंदी, चूड़ी आदि का ठेला लगा हुआ है। बच्चों व महिलाओं के साथ युवाओं की भीड़ हो रही है। कांवरिया भी जलाभिषेक के बाद मेले में पहुंच रहे हैं। जमकर खरीदारी हो रही है तो लजीज व्यंजनों का लुफ्त भी उठाया जा रहा है।

काशीपुराधिपति बाबा देवाधिदेव महादेव का रूद्राक्ष शृंगार

बाबा को प्रिय सावन के चौथे व अंतिम सोमवार को काशीपुराधिपति बाबा देवाधिदेव महादेव का रूद्राक्ष शृंगार किया गया। रात में शृंगार भोग आरती के बाद बाबा की रूद्राक्ष के दानों व मालाओं से झांकी सजाई गई।  परिसर को भी फूल-पत्तियों के साथ ही रूद्राक्ष की मालाओं से सजाया गया। सुबह से लेकर शाम तक संगीत भी गूंजा। इस दिव्य माहौल में श्रद्धालुओं ने शाम के बाद बाबा की भव्य झांकी के दर्शन किए और परिसर हर हर महादेव के उद्घोष से गूंजता रहा। सावन की परंपरा के अनुसार हर सोमवार बाबा का अलग-अलग रूप शृंगार किया जाता है। इसके तहत पहले के तीन सोमवार को बाबा का क्रमश: शिव रूप, गौरा संग और अद्र्धनारीश्वर किया गया था। अब सावन पूर्णिमा पर यानी रक्षा बंधन के दिन बाबा सपरिवार झूले पर विराजेंगे। 

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