मालदीप: क्या चीन की दखल के कारण हमारे सैनिकों को हटा रहा मालदीव, भारत कैसे सुलझा पाएगा यह मुद्दा?

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RGA न्यूज, नई दिल्ली 

Indian Army In Maldives: मालदीव के राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद मुइज्जू ने अपने पहले भाषण में भारतीय सैनिकों के मुद्दे पर एक बार फिर बात की है। मुइज्जू ने कहा कि मालदीव में किसी भी देश के सैन्यकर्मी नहीं होंगे। जब हमारी सुरक्षा की बात आती है तो मैं एक रेखा खींचूगा।y

मालदीव ने अपने देश से विदेशी सैनिकों को तैनाती हटाने के फैसले को एक बार फिर दोहराया है जिसमें भारतीय सैनिक भी शामिल हैं। देश के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के शपथ के बाद ही उनके कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि सरकार ने भारत से देश से अपनी सैन्य मौजूदगी वापस लेने के लिए कहा है।

इससे पहले पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू ने इस मुद्दे को उठाया था। अब सरकार के गठन के साथ ही वह इस फैसले को आगे बढ़ाने में भी लग गए हैं। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि मालदीव से भारतीय सैनिकों के मुद्दे पर अभी क्या हो रहा है? पूरा मुद्दा क्या है? मालदीव का क्या रुख है? भारत ने कैसे प्रतिक्रिया दी है? क्या फैसले के पीछे अन्य देश का भी प्रभाव है? 

मालदीव से भारतीय सैनिकों के मुद्दे पर अभी क्या हो रहा है?
राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद मुइज्जू ने अपने पहले भाषण में भारतीय सैनिकों के मुद्दे पर एक बार फिर बात की है। शुक्रवार को राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि मालदीव में किसी भी देश के सैन्यकर्मी नहीं होंगे। जब हमारी सुरक्षा की बात आती है तो मैं एक रेखा खींचूगा। मालदीप अन्य देशों की रेखाओं का भी सम्मान करेगा। 

मालदीव में कितने भारतीय सैनिक तैनात हैं?
भारत ने हिंद महासागर के रणनीतिक क्षेत्र में भारत के 70 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। दरअसल, इस क्षेत्र में स्थित माली को कई सैन्य हेलीकॉप्टर और जासूसी विमान तोहफे में दिए हैं। इसकी निगरानी के लिए मालदीव में भारतीय सैनिक तैनात हैं। ये कर्मी भारत प्रायोजित रडार और निगरानी विमान संचालित करते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में भारतीय युद्धपोत देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त करने में मदद करते हैं। 

आखिर मालदीव क्यों ले रहा यह निर्णय?
मोहम्मद मुइज्जु पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह की जगह आए हैं। सोलिह को भारत का समर्थक माना जाता था लेकिन उनकी हार के साथ ही यह आशंका जताई गई थी कि भारत और मालदीव के रिश्ते फिर से खराब हो सकते हैं। दरअसल, मोहम्मद मुइज्जु पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समर्थक हैं और उनकी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अब्दुल्ला यामीन को चीन का कट्टर समर्थक माना जाता है। मुइज्जू भी चीन समर्थक हैं और चुनाव से पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा भी था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन और मालदीव के रिश्तों का नया अध्याय शुरू होगा। 

राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मुइजु ने अब्दुल्ला यामीन को तुरंत जेल से रिहा कर घर में नजरबंद कर दिया है। बता दें कि अब्दुल्ला यामीन के शासनकाल में मालदीव में चीन का दखल काफी बढ़ गया था और मालदीव चीन के भारी कर्ज के जाल में फंस गया था। अब्दुल्ला यामीन 11 साल जेल की सजा काट रहे हैं लेकिन अब मोहम्मद मुइजु के राष्ट्रपति बनने से उन्हें राहत मिलना तय है। मोहम्मद मुइजु से जब उनके चीन समर्थक होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह मालदीव समर्थक हैं, जो भी देश मालदीव का समर्थन करेगा और मालदीव को अपना करीबी दोस्त मानेगा, हम उसकी इज्जत करेंगे। भारत और चीन दोनों ने मोहम्मद मुइजु को जीत की बधाई दी। 

भारत के लिए क्यों खतरा है मुइज्जू का यह फैसला?
मोहम्मद मुइजु को चीन समर्थक माना जाता है तो पूरी आशंका है कि मालदीव में फिर से चीन का दखल बढ़ेगा और भारत से मालदीव के रिश्ते कमजोर हो जाएंगे। मालदीव, हिंद महासागर में मौजूद एक द्वपीय देश है। यह देश जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा है लेकिन रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में एक मार्ग मालदीव के पास से ही होकर गुजरता है। ऐसे में हिंद महासागर में व्यापारिक माल की आवाजाही के लिहाज से मालदीव बेहद अहम है। मालदीव से थोड़ी दूरी पर ही डिएगो गार्सिया नामक द्वीप है, जिस पर अमेरिका और ब्रिटिश नौसेना तैनात रहती है। साथ ही पास ही मौजूद रियूनियन द्वीप समूह पर फ्रांसीसी सेना मौजूद है। ऐसे में मालदीव पर प्रभुत्व जमाकर चीन भारत समेत उक्त देशों की सेनाओं की भी जासूसी कर सकता है। है।

भारत क्या इस मुद्दे का समाधान ढूंढ पाएगा?
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू शपथ समारोह के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू गए थे। इस दौरान रिजिजू ने राष्ट्रपति मुइज्जू ने रिजिजू से मुलाकात की। इसी बीच विदेश मंत्रालय के सूत्रों की माने तो दोनों देशों की सरकारों के बीच इस मुद्दे के समाधान पर भी चर्चा की जा रही है। सूत्रों की माने तो राष्ट्रपति और भारत के केंद्रीय मंत्री रिजिजू के बीच हुई चर्चा में चिकित्सा निकासी, नशीली दवाओं की तस्करी समेत भारतीय सैन्य जवानों का मुद्दा उठाया गया।

सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव के नागरिकों की चिकित्सा में तैनात भारतीय हेलीकॉप्टरों और विमानों के योगदार की सराहना की। साथ ही दोनों को बीच सहमति हुई कि दोनों सरकारें इसके जरिए निरंतर सहयोग के लिए व्यावहारिक समाधानों पर चर्चा करेंगी।

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