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डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए दवाओं से अलग आप योगासनों का भी ले सकते हैं सहारा। इन आसनों के लगातार अभ्यास से इंसुलिन बनने लगती है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।...
डायबिटीज को हल्के में बिल्कुल में न लें क्योंकि यह लीवर, हार्ट अटैक, किडनी फेल्यर, ब्रेन स्ट्रोक जैसी कई घातक बीमारियों की वजह बन सकती है। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति ब्लड शुगर को कंट्रोल नहीं कर पाते। इस कारण उनके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। ज्यादा पेशाब आना और बार-बार पेशाब होना डायबिटीज के मुख्य लक्षण हैं। आइए जानते हैं कि कैसे योग द्वारा इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
डायबिटीज के रोगियों के लिए यह आसन बहुत ही फायदेमंद है। लगातार इसे करने से पैनक्रियाज ग्लैंड्स की मसाज होती है जिससे इंसुलिन बनने लगती है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ही जरूरी है।
कैसे करें
- पैरों को सामने की ओर फैला लें।
- बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दांए तरफ से लाते हुए हिप्स के पास रखें।
- अब दाएं पैर को बाएं घुटने के ऊपर से लाते हुए घुटने के पास रखें।
- पंजे घुटने से आगे न जाएं।
- अब बाएं हाथ को कंधों से घुमाते हुए दाएं पैर के ऊपर से इस तरह लाएं कि दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें और दाएं हाथ को पीछे से घुमाते हुए नाभि को छूने की कोशिश करें।
- यही प्रक्रिया दूसरी तरफ से भी करें
धनुरासन
पैनक्रियाज और आंतों के फंक्शन को सही रखता है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। रोजाना इसके अभ्यास से लिवर, पेनक्रियाज दुरूस्त होने के साथ ही बॉडी एक्टिव और दिमाग फ्रेश रहता है।
कैसे करें
- पेट के बल लेट जाएं।
- पैरों को घुटनों से मोड़ें और हाथों को पीछे ले जाकर पैर के पंजों को पकड़े।
- गहरी सांस लेते हुए बॉडी को ऊपर की ओर उठाएं और पैरों को हाथों से ऊपर की ओर खींचें।
- नजर सामने की ओर रखें।
- 15-20 सेकेंड होल्ड करके रखें इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस पेट के बल लेट जाएं।
हलासन
पैनक्रियाज के साथ ही प्लीहा और सभी अंदरूनी अंगों की मसाज हो जाती है। किडनी और लिवर फंक्शन को सुधारने के साथ ही उसे मजबूत बनाता है। डायबिटीज के अलावा थॉयराइड के मरीजों के लिए भी ये आसन बहुत ही कारगर है। इसके लगातार अभ्यास से दिमाग फ्रेश और एक्टिव रहता है।
कैसे करें
- पीठ के बल लेट जाएं और हथेलियों को कमर के बगल में रखें।
- गहरी सांस लें, पैरों को जमीन से उठाते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और उसके बाद आराम से इन्हें सिर के पीछे जमीन से छूने की कोशिश करें।
- घुटनों को मोड़ना नहीं है।
- जितनी देर होल्ड कर सकते हैं करें। धीरे-धीरे पैरों को वापस उसी पोजिशन में लेकर आएं।