RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश लखनऊ
2020 में करने होंगे कई नए काम लखनऊ का 2019 में 121वां स्थान 2018 में 115वां और 2017 में था 269वां स्थान। ...
लखनऊ :- शहर में घरों और प्रतिष्ठानों से निकलने वाले कूड़े को कैसे कम किया जाए और नगर निगम ने इस दिशा में क्या-क्या प्रयास किए हैं? पॉलीथिन फ्री सिटी कैसे बनाई जा रही है। सेफ्टिक टैंक से निकलने वाले मलबे को किस तरह से निस्तारित किया जा रहा है। नालों में जालियां लगी हैं कि नहीं? नगर निगम को अब इन सवालों के जवाब तैयार करना होगा।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के लिए नई गाइड लाइन जारी
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में इस बार इन नए नए बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। नगर निगम के पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण ने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के लिए नई गाइड लाइन आ गई है। इस बार कूड़े की मात्र कम करने, पॉलीथिन फ्री सिटी बनाने, सेफ्टिंक टैंक से निकले मबले को नियोजित तरह से निस्तारित करने पर जोर होगा। वर्ष 2019 में नगर निगम ने शहरवासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए एक करोड़ खर्च किया गया था। यूपी के टॉप टेन में भी दसवें नंबर पर लखनऊ नगर निगम था।
मुख्य बिंदु
- सफाई की तिमाही परीक्षा हो रही है।
- चार जनवरी से 31 जनवरी 2020 तक केंद्रीय टीम सफाई के दावों का आंकलन करेगी।
- सभी बिंदुओं पर माइनस मार्किंग होगी।
- इस बार भी पांच हजार अंकों की परीक्षा होगी।
- सार्वजनिक, सामुदायिक शौचालयों की वर्तमान स्थिति को बताना होगा।
- नगर निगम के कंट्रोल रूम में दर्ज हो रही शिकायतों का परीक्षण होगा।
इसमें सुधार करना होगा
- 2019 के सर्वेक्षण में सेवा स्तर में सुधार न होने पर 259.09 नंबर मिले थे। इसमे कूड़ा प्रबंधन में हर घर से गीला और सूखा कूड़ा उठाना सुनिश्चित करना था। यह काम शून्य है।
- निजी, सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों में मानकों की अनदेखी से नगर निगम को 600 नंबर मिले थे।
- सफाई से जुड़े अभिलेखों को तैयार करने और स्वच्छता के प्रति जागरूक में भी 600 नंबर मिले थे।
- लोगों की तरफ से दिए फीड बैक में 988.97 नंबर मिले थे।
- मौके पर सत्यापन पर 899 नंबर मिले थे।
- हर दिन 11 सौ मीटिक टन कूड़ा निकल रहा है। पहले यह मात्र 13 सौ मीटिक टन थी। इसमे लोगों को सडऩे वाले कूड़े से खाद बनाना है।
- प्लास्टिक को कूड़े में फेंकने के बजाय उसका कोई उपयोग हो या फिर उसे कबाड़ी को बेचा जाए, जिससे वह पुर्नचक्रित हो सके।
- सेफ्टिक टैंक से निकलने वाले मैला को एसटीपी में भेजा जाए, नाले में न बहाया जाए।
- नालों से कूड़ा नदियों में न जाए, बल्कि नालों में जालियां लगाई जाए।
- पॉलीथिन फ्री सिटी बनाया जाए। अभी तक कितनी प्रतिबंधित पॉलीथिन पकड़ी गई है।