जब नीतीश ने दी शिक्षकों को नसीहत, कहा- जितना दुष्‍प्रचार करें, पर बच्चों को पढ़ाएं जरूर

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RGA न्यूज़ पटना बिहार

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार आज पूरे रौ में थे। उन्‍होंने शिक्षकों को खूब नसीहत दी। गुरु के रोल में उन्‍हें शिक्षा का पाठ पढ़ाया। कहा कि हमें तकलीफ तब होगी जब आप लोग पढ़ाइएगा नहीं। ...

पटना:- मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार आज पूरे रौ में थे। उन्‍होंने शिक्षकों को खूब नसीहत दी। गुरु के रोल में उन्‍हें शिक्षा का पाठ पढ़ाया। साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा कि मेरे खिलाफ जितना भी प्रचार करें, हमें दिक्‍कत नहीं है। लेकिन आप बच्‍चों को पढ़ाएं जरूर। उन्‍होंने कहा कि हमें तकलीफ तब होगी, जब आप लोग पढ़ाइएगा नहीं। शिक्षा की महत्‍ता को आप भूलें नहीं।

राजधानी स्थित एसके मेमोरियल हॉल में शिक्षक दिवस पर आयोजित राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि चाहे जो इच्छा हो मांग करें, पर शिक्षक अपने मूल दायित्व को नहीं भूलें। जब शिक्षक छात्र-छात्राओं को नहीं पढ़ाएंगे तो हमें तकलीफ होगी। हड़ताल पर गए नियोजित शिक्षकों को उन्होंने दो टूक अंदाज में कहा कि मेरे खिलाफ नहीं बोलेंगे तो आपको प्रचार नहीं मिलेगा। मेरे खिलाफ बोलकर चाहे जितनी पब्लिसिटी लेना हो ले लीजिए, पर शिक्षक दिवस पर हम यह कहते हैं कि हम ही आगे भी आपका ख्याल रखेंगे। करेंगे समय पर हम ही। जितना संभव होगा करेंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें हंसी आती है कि शिक्षक जब अपनी मांगों को लेकर धरना पर जाते हैं तो साथ में कभी-कभी वे लोग भी इनके साथ बैठ जाते हैं, जिन्होंने 2008 में पुस्तिका छपवाकर यह कहा था कि अयोग्य शिक्षक का नियोजन कर व्यवस्था को भ्रष्ट कर दिया गया। हम नहीं कर रहे इन्हें अयोग्य। सर्वोच्च न्यायालय भी गए अपनी बातों को लेकर आंदोलन करने वाले पर क्या फैसला आया? 

मुख्यमंत्री ने परामर्श वाले अंदाज में कहा कि केवल मांग में ही शिक्षक अपना ध्यान नहीं लगाएं। छात्र-छात्राओं को निष्ठा से पढ़ाएं। मंच से ही मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को कहा कि शिक्षकों के लिए थोड़ा और बेहतर कीजिए। उन्होंने कहा कि आरंभ तय वेतन पर हुआ, 2015 में वेतनमान निर्धारित किया और 2016-17 से सातवें वेतनमान से जुड़ी सुविधाएं दे रहे हैं। कहां थे और कहां हैं, यह नहीं भूलना चाहिए। मेरे खिलाफ चाहे जितना नारा लगाइए, हमें ऐतराज नहीं। हम इसकी चिंता भी नहीं करते, क्योंकि हमें लोकतंत्र में विश्वास है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि वर्ष 2005-06 में बिहार का शिक्षा बजट 4261 करोड़ रुपए का था और 2018-19 में बढ़कर यह 32 हजार करोड़ के अधिक हो गया। मैंने अपने आरंभिक काल से ही शिक्षा पर काम किया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि आज 10वीं कक्षा में स्कूलों में लड़के और लड़कियों की संख्या बराबर हो गई है। गांव-गांव लड़कियां साइकिल से स्कूल पहुंच रही हैं। अब शिक्षा की गुुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में काम हो रहा है। गुणवत्ता की समस्या केवल बिहार की नहीं है। अमेरिका में भी यह है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले वर्ष अप्रैल से सूबे के सभी पंचायतों में नौवीं कक्षा की पढ़ाई आरंभ हो जाएगी।

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