खत्‍म होगी जनरेटर कार की जरूरत, अब इस तकनीक से रेलवे बचाएगा डीजल 

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RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश आगरा

आगरा में लागू करने की हुई तैयारी। एचओजी तकनीक के बाद नहीं होगी जेनरेटर कार की आवश्यकता। ...

आगरा:- रेलवे ने ट्रेनों में आधुनिक तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया है। इसके तहत अभी वीआइपी ट्रेनों में जनरेटर कार को हटाकर उसकी जगह हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। आगरा मंडल में भी इस तकनीक का प्रयोग करने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। इससे सैकड़ों लीटर डीजल की बचत होगी।

रेलवे ने ट्रेनों में लगने वाली जेनरेटर कार को हटाने के लिए एचओजी तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। आगरा मंडल में भी लिंक हॉफमैन बुच (एलएचवी) रैक वाली ट्रेनों में इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। रेलवे की अनुमति मिलते ही वीआइपी ट्रेन गतिमान, शताब्दी व इंटरसिटी में इस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। अभी तक इन ट्रेनों में दो जनरेटर कार लगाई जाती हैं, जिससे ट्रेनों में लाइट, पंखा व एसी चलते हैं। एचओजी तकनीक का प्रयोग होने के बाद जनरेटर कार का इस्तेमाल नहीं होगा। डिवीजनल इलेक्टिक इंजीनियर जर्नादन सिंह ने बताया कि एचओजी तकनीक के इस्तेमाल से रेलवे को बहुत लाभ मिलेगा। पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा। आर्थिक लाभ तो होगा ही, ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आएगी। ट्रेनों में केवल बैकअप के लिए एक जनरेटर कार लगाया जाएगा।

बढ़ जाएगी सीटों की संख्या

एचओजी तकनीक के प्रयोग के कारण रेलगाड़ी में बिजली की सप्लाई इंजन के जरिए होने के चलते पावर कार की जरूरत खत्म हो जाएगी, ऐसे में एक एसी ट्रेन में सामान्य तौर पर दो पावर कार लगाई जाती हैं, एचओजी तकनीक के बाद इनकी जरूरत नहीं होगी।इन पावर कार को हटा कर इनकी जगह पर सामान्य यात्री डिब्बे लगाए जा सकते हैं। यदि किसी ट्रेन में दो डिब्बे बढ़ा दिए जाते हैं तो लगभग 140 यात्रियों को रेलगाड़ी में आसानी से सीट उपलब्ध कराई जा सकेगी।

क्या है हेड ऑन जेनरेशन तकनीक

सामान्य स्थिति में रेलगाड़ियों में चलने वाले इलेक्टिक इंजन को चलाने के लिए ओवरहेड वायर से बिजली की सप्लाई दी जाती है, इसी बिजली से इंजन चलता है। हेड ऑन जेनरेशन तकनीक के तहत इंजन को मिलने वाली बिजली को रेलगाड़ी के हर डिब्बे तक इंजन के जरिए ही पहुंचाया जाता है, ऐसे में डिब्बों में पंखे, एसी, लाइट आदि जलाने के लए इंजन से ही बिजली की सप्लाई भेजी जाती है। नई तकनीकि के प्रयोग के बाद रेलगाड़ी में अतिरिक्त पावर कार लगाने की जरूरत खत्म हो जाएगी।

बचेगा सैकड़ों लीटर डीजल

एक जनरेटर कार को चलाने में प्रति घंटा 50 से 55 लीटर डीजल का प्रयोग होता है। ऐसे में एचओजी तकनीक का इस्तेमाल होने से डीजल की बचत होगी। एक ट्रेन में ही सैकड़ों लीटर डीजल की बचत होगी। इससे रेलवे को लाखों रुपये का लाभ होगा।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

रेलवे ने एचओजी तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। आगरा मंडल में भी इसकी तैयारी कर ली गई है। जैसे ही इसके प्रयोग की अनुमति मिलेगी, इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा।

एसके श्रीवास्तव, पीआरओ आगरा रेल मंडल

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