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ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार विस्थापित परिवारों के पुनर्वास और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के बाद ही बीरभूम जिले के देवचा-पचामी कोयला ब्लॉक पर काम करेगी। ...
कोलकाता:-बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार विस्थापित परिवारों के पुनर्वास और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के बाद ही बीरभूम जिले के देवचा-पचामी कोयला ब्लॉक पर काम करेगी। इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव मलय दे के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी खनन के संबंध में दिशा तय करेगी।
बता दें कि पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को बीरभूम के दक्षिण-पश्चिम भाग में देवचा-पचामी ब्लॉक और जिले के पश्चिमी सीमा के दीवानगंज हरिनसिंह ब्लॉक को आवंटित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम देवचा-पचामी और दीवानगंज इन दोनों ब्लॉकों को एक साथ देवचा-पचामी कहते हैं। हम सावधानी से पर्यावरण के हर पहलू का ख्याल रखते हुए परियोजना के साथ आगे बढ़ेंगे। देवचा-पचामी में लगभग 395 परिवार (40 फीसद आदिवासी) हैं। इसी तरह दीवानगंज में 389 परिवारों (कुल 784 परिवारों) को पुर्नविस्थापित किया जाएगा। हम आगे बढ़ने से पहले हर किसी को विश्वास में लेना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान देवचा-पचामी में खनन के लिए तीन साल की कोशिशों के बाद बंगाल को खनन की अनुमति मिली है। इस संबंध में अगले हफ्ते केंद्र के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यहां 2102 मिलियन मीट्रिक टन का कोयला है। हालांकि खदान में कोयले की मौजूदगी नीचे है। ऊपर पत्थर होने की वजह से पहले उन्हें हटाना होगा। खनन कार्य में 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च होगा और करीब पांच वर्ष का समय लगेगा। सीएम ने आगे कहा कि केंद्र सरकार को 50 करोड़ रुपये सिक्योरिटी के तौर पर देना होगा। हालांकि यह राशि बाद में वापस कर दिया जाएगा।
ममता ने कहा कि इस संबंध में राज्य के प्रदूषण नियंत्रण विभाग को 100 करोड़ रुपये का एक फंड तैयार करने के लिए कहा गया है। इसमें से 50 करोड़ रुपये केंद्र को दिये जाएंगे। केंद्र से पैसा मिलने के बाद 50 करोड़ रुपये प्रदूषण नियंत्रण विभाग को लौटा दिए जाएंगे।
ममता बनर्जी ने कहा कि कोयला ब्लॉक की अवधि में 12,000-15,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है, और लगभग एक लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। राज्य सरकार को परियोजना क्षेत्र के 11,222.50 एकड़ में से लगभग 9,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना होगा। अधिकारियों ने कहा कि निहित भूमि लगभग 2,000 एकड़ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक बड़ी परियोजना है जो अगले 100 साल के लिए कोयले की आपूर्ति कर सकती है। हालांकि वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने में लगभग पांच साल लगेंगे। वहीं, ब्लॉक में 2.1 बिलियन टन का अनुमानित कोयला भंडार है।