RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश लखनऊ
राज्य सरकार की चेतावनी के बावजूद सोमवार को एम्बुलेंस सेवाएं ठप होने से प्रदेश में हाहाकार मच गया।..
लखनऊ:- राज्य सरकार की चेतावनी के बावजूद सोमवार को एम्बुलेंस सेवाएं ठप होने से उत्तर प्रदेश में हाहाकार मच गया। मरीजों के परिवारीजन एम्बुलेंस बुलाने के लिए फोन मिलाते रहे, लेकिन चक्का जाम की वजह से अस्पतालों में खड़ी एम्बुलेंस टस से मस नहीं हुईं। हालांकि शाम को एम्बुलेंस संचालक कंपनी जीवीके ईएमआरआइ ने ड्राइवरों के काम पर लौटने का दावा किया, जबकि राज्य सरकार ने संचालक कंपनी पर पेनाल्टी लगाने का निर्णय किया है।
उत्तर प्रदेश में 102 सेवा की 2270, 108 सेवा की 2200 और एएलएस सेवा की 250 एम्बुलेंस चलाने का जिम्मा जीवीके ईएमआरआइ कंपनी को दिया गया है। कंपनी प्रबंधन और ड्राइवरों के बीच चले रहे टकराव के कारण ड्राइवरों ने एम्बुलेंस सेवा ठप करने की चेतावनी दी थी। इस पर शासन ने एस्मा लागू करते हुए एम्बुलेंस हड़ताल पर रोक लगा दी थी, लेकिन सोमवार को यह रोक बेअसर रही। ड्राइवरों ने लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, कन्नौज और बदायूं सहित कई जिलों के अस्पताल परिसर में एम्बुलेंस खड़ी कर सेवा ठप कर दी। इस दौरान एम्बुलेंस न मिलने से कई जगह मरीजों की तबीयत बिगड़ी, जबकि लखनऊ सहित कई जगह इस वजह से मरीजों की मौत होने की भी सूचना आई
जीवीके ईएमआरआइ के मीडिया प्रभारी सुनील यादव ने बताया कि शाम को असिस्टेंट कमिश्नर लेबर के ऑफिस में कंपनी व ड्राइवरों के बीच सकारात्मक बातचीत होने के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई। स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह ने कंपनी और ड्राइवरों के बीच विवाद को एम्बुलेंस सेवा प्रभावित होने की वजह बताया और कड़ी कार्रवाई का दावा किया, जबकि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि एम्बुलेंस संचालक कंपनी को दंडित करने का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत फिलहाल कंपनी पर पेनाल्टी लगाई जाएगी। इसके अलावा कई जगह धरना-प्रदर्शन कर रहे एम्बुलेंस ड्राइवरों को गिरफ्तार भी किया गया।
ड्राइवरों के आरोप
एम्बुलेंस ड्राइवरों का कहना है कि कंपनी उन पर प्रतिदिन फर्जी केस करके बिल तैयार करने का दबाव बनाती है, जबकि उगाही के लिए कर्मचारियों को रखने और निकालने का खेल भी चलता है। 108, 102 एंबुलेंस सेवा कर्मचारी संघ की ओर से छपवाए गए पर्चों में सरकार से फर्जी तरीके से हर महीने करोड़ों रुपये की वसूली करने, कर्मचारियों से ज्यादा ड्यूटी लेने और पीएफ, ईएसआइ व दुर्घटना बीमा से वंचित रखने का आरोप लगाया है। ड्राइवर इस पर भी आंदोलित थे कि नए पायलट प्रोजेक्ट के तहत केस न मिलने पर उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाएगा, जबकि एम्बुलेंस कंपनी का कहना था कि सरकार और कंपनी के बीच ऐसा करार हुआ है लेकिन, कर्मचारियों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा।