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RGA न्यूज़ पटना
महागठबंधन में मचे घमासान के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अलग राह चलने की तैयारी में जुट गया है। जीतनराम मांझी एक बार फिर राजद पर भड़के हैं। वहीं जदयू ने चुटकी ली है। ...
पटना :-महागठबंधन में मचे घमासान के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अलग राह चलने की तैयारी में जुट गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी का मानना है कि उन्होंने काफी पहले ही यह अपनी बात रख दी थी कि नाथनगर और किशनगंज सीट पर पार्टी अपने उम्मीदवार देगी। लेकिन कांग्रेस की मांग पर उन्होंने किशनगंज से प्रत्याशी नहीं देने का फैसला किया। उन्होंने इसे लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर ठीकरा फोड़ा है। वहीं, पूरे मामले पर जदयू ने चुटकी ली है।
इधर राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने राजद पर बड़े सवाल उठाते हुए कहा है कि उपचुनाव में सीटों को लेकर जिस प्रकार का विवाद हो रहा है उसकी असल वजह राजद है। राजद अपना एकाधिकार चला रहा है जो कहीं से महागठबंधन हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि यदि राजद महागठबंधन की मजबूती चाहता है तो नाथनगर से तत्काल अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले। अगर ऐसा नहीं होता है तो राजद के बगैर भी महागठबंधन की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि राजद यदि नाथ नगर से प्रत्याशी देगा तो ऐसी स्थिति में पार्टी सिमरी बख्यितारपुर में विकासशील इंसान पार्टी और शेष सीटों पर कांग्रेस द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों की मदद करेगी।
बता दें कि बिहार विधानसभा की पांच सीटों पर उपचुनाव होना है। इसके लिए चुनाव आयोग ने जहां अधिसूचना जारी कर दी है, वहीं एनडीए ने भी लगभग सीटों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। इसमें चार सीटों पर जनता दल यू (जदयू) तथा एक सीट किशनगंज में भारतीय जनता पार्टी अपना उम्मीदवार उतारेगी। लेकिन इसी पांच सीटों को लेकर महागठबंधन में घमासान मचा हुआ है।
उधर, उपचुनाव में सीटों के लिए महागठबंधन में घमासान पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव दावा करते थे कि उनके गठबंधन में सब ठीक चल रहा है, लेकिन सेमीफाइनल में ही पूरी टीम ढेर हो गई। संजय ने कहा कि महागठबंधन जब बना था तो उसका चेहरा नीतीश कुमार थे। उन्हीं के चेहरे पर घटक दलों को वोट भी मिले थे। अब जब वह नहीं हैं तो घटक दलों ने अपनी राह अलग कर ली।
संजय ने कहा कि महागठबंधन के लोग भी मानते हैं कि तेजस्वी के चेहरे पर वोट नही मिलता। गठबंधन की कमजोर गांठ खुलती जा रही है। सभी दलों को एक सूत्र में बांधना कठिन होता है, जो तेजस्वी यादव से संभव नहीं होगा। वैसे राजद और गठबंधन के अन्य दलों में कोई अंतर नहीं है। सभी दल एक-दूसरे का बेड़ा गर्क कर रहे हैं।