लाल बहादुर शास्त्री जयंती : शास्त्री जी की वह सादगी जस की तस रामनगर के पैतृक आवास में है संरक्षित

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RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश बनारस

पीडीडीयू नगर (मुगलसराय) के रेलवे कालोनी में शारदा प्रसाद तथा रामदुलारी देवी के घर में दो अक्टूबर 1904 में लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। ...

वाराणसी:-पीडीडीयू नगर (मुगलसराय) के रेलवे कालोनी में शारदा प्रसाद तथा रामदुलारी देवी के घर में दो अक्टूबर 1904 में लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। शास्त्री जी की दो बहनें कैलाशी देवी व सुंदरी देवी थी। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के हरिकृष्ण शास्त्री, अनिल शास्त्री, सुनील शास्त्री व अशोक शास्त्री पुत्र व कुसुम व सुमन पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियों व दो पुत्र का निधन हो गया है। केवल सुनील शास्त्री व अनिल शास्त्री ही हैं। शास्त्री जी ने रामनगर से अपने जीवन के सफलता की शुरुआत की। प्रयागराज से अपने राजनीतिक सफर का आगाज किया।

उन्होंने तमाम कठिनाइयों से जूझते हुए देश के प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया। राजनीति में उनके द्वारा किये गए साहसिक निर्णय आज भी लोगों के लिए मिसाल है। चाहे रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री पद से इस्तीफा हो या 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनका नेतृत्व या फिर उनका दिया जय जवान जय किसान का नारा।  प्रधानमंत्री के पद पर मात्र 18 माह के कार्यकाल में ही शास्त्री को औरों से सार्वजनिक जीवन में सर्वश्रेष्ठ बनाता है। संघर्ष मार्ग से गुजरते हुए सादगी पंसद काशी के लाल ने विश्व पटल पर न अपने उत्कृष्ट व्यक्तित्व की छाप छोड़ी,अपितु देश में नैतिक राजनीति को भी स्थापित किया। लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मृत्यु का राज आज तक भारतवासियों को झकझोरती है। ताशकंद में 10 जनवरी 1966 को भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते पर दस्तखत किए और उसके अगले ही दिन यानी 11जनवरी 1966 को भारत के उनका निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले दिनों शास्त्री जी के पैतृक आवास पर आए थे। पूरे परिसर का अवलोकन कर कुछ पल वहां बैठक में बिताए। 

पैतृक आवास बना शास्त्री स्मृति संग्रहालय

वर्ष 2004 में शास्त्री जी की जन्म शताब्दी वर्ष मनाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार में उनके आवास को अधिग्रहण कर राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा की थी। उसी समय गंगा पर सामने घाट पुल का नाम शास्त्री सेतु रख वर्ष 2006 में इसका शिलान्यास किया गया था। 2010 में बसपा सरकार में संस्कृति विभाग के मंत्री सुभाष पाण्डेय ने पैतृक आवास के जीर्णोद्धार प्रारंभ हुआ। 11 जनवरी 2011 को सुभाष पांडेय ने ही लोकार्पण किया। फिर भी स्मारक व म्यूजियम बनाने का काम अधुरा रहा। भाजपा सरकार आयी तो शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय के आधे अधूरे काम को पूरा कर कार्यदायी संस्था से संस्कृति विभाग को हस्तांतरित किया। 27 सितंबर 2018 में प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकार्पण किया गया।

दक्षिण भारत के पर्यटक की रहती हैं खास रुचि

शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय को देखने के लिए देश ही नहीं विदेशी पर्यटक भी आते है। लेकिन सबसे ज्यादा संख्या दक्षिण भारत से आने वाले पर्यटकों की होती हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य प्रांतों के भी पर्यटक घूमने आते हैं। हर महीने दो हजार से ज्यादा पर्यटक शास्त्री जी की स्मृतियों का अवलोकन करते हैं। 

म्यूजियम में लालटेन है आकर्षण का केंद्र

प राना रामनगर स्थित शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय की म्यूजियम में सबसे पहले प्रवेश करते ही उनसे जुड़ी तमाम यादों की फोटो गैलरी सजी हुई हैं। आगे बैठक कक्ष, आंगन में उनकी पत्नी ललिता शास्त्री की प्रतिमा, सामने शास्त्री जी का पूजा कक्ष, गाड़ी की फोटो, रसोई व उससे संबंधित सामान। ऊपर जाने पर शास्त्री जी का शयनकक्ष तत्कालीन रहन सहन को दर्शाता है। वहीं आधुनिक लालटेन की टिमटिमाती रोशनी लोगों को आकर्षित करती हैं।

सोवेनियर पटल संग विकसित होगा आडियो-वीडियो हाल

संस्कृति विभाग ने शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय को उनके पैतृक आवास में थोड़े परिवर्तन के साथ ही मूल स्वरूप में ही विकसित किया है। बगल में उनके रिश्तेदार की अधिग्रहित किए गए भवन को आडियो-वीडियो हॉल, लाइब्रेरी व सोवेनियर पटल, आदि सहित अन्य कार्य के माध्यम से विकसित कर सांस्कृतिक विरासत के रुप में विकसित करने की योजना बनाई गई हैं।

शास्त्री जी सादगी अपनाने की है जरूरत

शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय तो लोकार्पित हो गया लेकिन अभी तक इसके रख रखाव तथा देखभाल के लिए कोई सरकारी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई हैं। हालांकि भारतीय जन जागरण समिति से जुड़े महेंद्र नारायण लाल सेवा भाव से सोमवार को साप्ताहिक अवकाश को छोड़ कर हर रोज संग्रहालय को खोलने तथा बंद करने का काम करते है। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी जैसे महापुरुष के यादों को पर्यटकों के बताने से अपार खुशी मिलती अभी भी कुछ यहां बहुत कुछ विकसित करने की आवश्यकता है।

कर्मचारियों की है जरूरत

शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय के रखरखाव व देखभाल तो अच्छे से किया जाता है लेकिन फिर भी कर्मचारियों की आवश्यकता है। जिसका प्रस्ताव शासन में विचाराधीन है।कर्मचारी मिलते हैं तो और अच्छे से देखभाल सहित रखरखाव में सहूलियत होगी। -डा. सुभाष चन्द्र यादव, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी तथा प्रभारी शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय।

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