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दुनियाभर में कहर ढाने वाला एच1एन1 वायरस एक बार फिर घातक बन सकता है। विषाणु विज्ञानियों ने आशंका जताई है कि वैक्सीन भी नाकाम हो सकती है।...
मेरठ:- 2009 में दुनियाभर में कहर ढाने वाला एच1एन1 वायरस एक बार फिर घातक बन सकता है। विषाणु विज्ञानियों ने आशंका जताई है कि दस साल की उम्र पार कर चुके एच1एन1 वायरस के स्ट्रेन में हल्का बदलाव (डिफ्ट) के बजाय पूरी तरह बदलाव (शिफ्ट) हो सकता है। ऐसे में स्वाइन फ्लू बीमारी अनियंत्रित होगी। वैक्सीन भी नाकाम हो सकती है। बता दें कि ये वायरस पिग के अंदर म्यूटेशन कर नया स्ट्रेन बनाता है। हालांकि इस वायरस से भारतीय पिग अब तक अछूते हैं।
वायरस के निशाने पर रहा है मेरठ
2017 में मेरठ में सर्वाधिक 22 लोगों की जान गई। लखनऊ के बाद सर्वाधिक मरीज भी मिले। घनी आबादी की वजह से 2009 से लेकर हर साल यहां मरीजों की तादाद ज्यादा रही। शनिवार को दो नए मरीजों में वायरस मिलने के बाद 2019 में मरीजों की संख्या 95 तक पहुंच चुकी है। मेडिकल कॉलेज में रोजाना दर्जनों सैंपलों में वायरस की जांच की जा रही है। माइक्रोबायोलॉजिस्ट डा. अमित गर्ग का कहना है कि सर्द मौसम में वायरस तेजी से संक्रमित होगा। बताया कि 2009 में मिशीगेन और कैलीफोर्निया दोनों स्ट्रेन यूएसए से निकले थे, जिसकी आशंका फिर उभरी है। एच1एन1 वायरस हर दस साल में स्ट्रेन चेंज कर सकता है।
फेल होगी हर्ड इम्यूनिटी
2009 का स्ट्रेन संक्रमित होने से लोगों में हर्ड इम्यूनिटी बन गई। इससे पुराना स्ट्रेन दब गया। चंद मरीज ही मिल रहे हैं, जिनमें लक्षण भी सामान्य मिलते हैं। लेकिन स्ट्रेन शिफ्ट हुआ तो लोगों में पनपी हर्ड इम्यूनिटी असर गंवा देगी। जिन मरीजों में पहले बीमारी हुई थी, उन्हें फिर हो सकती है।
ये लक्षण नजर आएं तो रहें सावधान
नजला, जुकाम के साथ तेज खांसी। सिर दर्द। गले में दर्द, चुभन, आंखों के सामने अंधेरा। बीपी में गड़बड़ी। कफ। निमोनिया। बेहोशी।
इन्होंने बताया
एच1एन1 वायरस करीब दस साल में स्ट्रेन पूरी तरह बदल देता है। ऐसे में 2009 से चला आ रहा स्ट्रेन किसी भी वक्त बदलकर महामारी बन सकता है। हर्ड इम्यूनिटी फेल हो जाएगी। वायरस की स्टडी के लिए जल्द ही मेडिकल में एच3एन2 और एंन्फ्लुएंजा-बी की जांच शुरू होगी।
- डा. अमित गर्ग, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष, मेडिकल कॉलेज
एच1एन1 वायरस गले में संक्रमण कर फेफड़ों में निमोनिया बनाता है। शुगर, बीपी, हार्ट, कैंसर, बुजुर्गो, एनीमिक मरीजों, बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में वायरस का घातक असर है। स्वाइन फ्लू की वैक्सीन लगवाएं। मरीज को अलग रखें। टेमीफ्लू कारगर दवा है।