सौभाग्य कामना का व्रत पर्व करवा चौथ 17 अक्टूबर को, चंद्रोदय शाम 7.58 बजे होगा

Praveen Upadhayay's picture

RGA न्यूज़ बनारस

भगवान श्रीकृष्ण ने भी महाभारत से पहले करवा चौथ व्रत का बखान किया था। मान्यता है उनकी सलाह पर द्रौपदी ने व्रत रखा और पांडवों को विजय मिली।...

वाराणसी:- सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी की मान्यता करवा चौथ के रूप में है। धर्म शास्त्रीय विधान के तहत अखंड सौभाग्य कामना से किए जाने वाले व्रत पर्व का सुहागिनों के लिए विशेष महत्व है। इसे कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि में रखा जाता है। इसके विधान इस बार 17 अक्टूबर को पूरे किए जाएंगे।

करवा चौथ को चंद्रोदय शाम 7.58 बजे होगा

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर की भोर 5.21 बजे लग रही है जो 18 की भोर 5.29 बजे तक रहेगी। इस व्रत में चंद्र को अ‌र्घ्य देने का विधान है। चंद्रोदय शाम 7.58 बजे हो रहा है, इसी समय चंद्र को अ‌र्घ्य दान किया जाएगा।

करवा चौथ व्रत का पूजन विधान

करवा चौथ व्रत में शिव-शिवा, कार्तिकेय व चंद्रमा का पूजन, कथा वाचन-श्रवण व अ‌र्घ्य दान का विधान है। नैवेद्य में घी में सेकाहुआ खाड़ मिलाकर आटे का लड्डू अर्पित करना चाहिए। प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर तिथि-वार व नक्षत्र का उच्चारण कर हाथ में जल-अक्षत व पुष्प लेकर सुख-सौभाग्य, पुत्र-पौत्र व स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शिव-गौरी और कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित कर पूजन, चंद्र को अ‌र्घ्य दान कर बड़ों से आशीर्वाद लेकर भोजन ग्रहण करना चाहिए।

 

करवा चौथ व्रत का उल्लेख वामन पुराण में है

करवा चौथ व्रत का उल्लेख वामन पुराण में है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी महाभारत से पहले करवा चौथ व्रत का बखान किया था। मान्यता है उनकी सलाह पर द्रौपदी ने व्रत रखा और पांडवों को विजय मिली।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.