बिहार महागठबंधन में खुल्लम-खुल्ला तो एनडीए में सबकुछ पर्दे के पीछे, जानिए क्‍या है मामला

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RGA न्यूज़ पटना बिहार

विधान सभा की पांच सीटों पर हो रहे उप चुनाव में महागठबंधन में घटक दलों के बीच विरोध का खेल खुल्लम-खुल्ला है। जबकि वह सबकुछ एनडीए में भी हो रहा है लेकिन पर्दे के पीछे जानें मामला।...

पटना:- विधान सभा की पांच सीटों पर हो रहे उप चुनाव में महागठबंधन में घटक दलों के बीच विरोध का खेल खुल्लम-खुल्ला है। जबकि वह सबकुछ एनडीए में भी हो रहा है। फर्क यह है कि वहां पर्दे के पीछे हो रहा है। चर्चा नहीं होती है। मसलन, दरौंदा में भाजपा के बागी उम्मीदवार कर्णजीत सिंह ऊर्फ व्यास खुलेआम जदयू उम्मीदवार अजय सिंह के खिलाफ लड़ रहे हैं। उन्होंने भाजपा के झंडे के साथ नामांकन किया। आज भी उसी के नाम पर वोट मांगते हैं। लेकिन, पार्टी सेे अबतक निकाले नहीं गए। ऐसा ही लोकसभा चुनाव के दौरान मधुबनी में हुआ था। कांग्रेस के डा. शकील अहमद बागी उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ रहे थे। महागठबंधन के नेताओं की मांग के बावजूद उन्हें समय रहते पार्टी से नहीं निकाला गया। खुद हारे और महागठबंधन के खराब प्रदर्शन का कारण भी बने।

हालांकि दरौंदा का मामला अलग है। वहां भाजपा के बड़े नेता जदयू उम्मीदवार के पक्ष में जी जान से जुटे हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं के एक हिस्से पर कर्णजीत सिंह का प्रभाव है। वे भाजपा के जिला उपाध्यक्ष हैं। जदयू ने कोई तीखी टिप्पणी नहीं की है। जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि भाजपा नेतृत्व को खुद विचार करना चाहिए कि यह स्थिति क्यों है। ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई की परिपाटी रही है। 

 दरौंदा का ही नहीं है। सिमरी बख्यितयापुर और नाथनगर में भी एनडीए के घटक दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। नाथनगर में राष्ट्रीय स्तर के एक स्थानीय नेता की खामोशी कुछ कह रही है। सिमरी बख्तियापुर में भी भाजपा कार्यकर्ताओं की ऐसी सक्रियता नजर नहीं आ रही है, जिससे उसके समर्थक जदयू उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के लिए लोगों को प्रेरित कर सकें। हां, समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र का उप चुनाव जरूर अलग है। वहां एनडीए के सभी घटक लोजपा उम्मीदवार प्रिंस की जीत के लिए जी जान से लगे हैं। 

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