Haryana Election 2019ः दिवाली से पहले 90 परिवारों को मिलेगी दोहरी खुशी

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RGA न्यूज़ रेवाड़ी

विधायक बनने वाले प्रदेश के 90 परिवारों और उनके शुभचिंतकों के लिए इस बार की दिवाली दोहरी खुशियां लेकर आ रही है।...

रेवाड़ी :- लोकतंत्र के महापर्व के कारण इस बार दिवाली से तीन दिन पहले भी दिवाली जैसा जश्न देखने को मिलेगा। विधायक बनने वाले प्रदेश के 90 परिवारों और उनके शुभचिंतकों के लिए इस बार की दिवाली दोहरी खुशियां लेकर आ रही है। लक्ष्मी पूजन वाली दिवाली 27 अक्टूबर को है, जबकि विजेताओं के लिए 24 अक्टूबर को ही जीत की ‘दिवाली’ आ जाएगी।

मतदाताओं ने सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहरलाल के पद और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कद की ताकत का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया है। किसी को जहां किंग बनने की उम्मीद है तो कोई किंग मेकर बनने का सपना देख रहा है। मतदाताओं का लिखा हुआ फैसला 24 अक्टूबर को सामने आएगा। तब तक तीन दिन लगातार अटकलों का दौर चलेगा।

सट्टा बाजार के रुख से किसी की सांस फूलती रहेगी तो किसी की उम्मीदें जीवंत होगी। गणित के सवाल की तरह मैदान में उतरे दिग्गज समर्थकों के फीडबैक पर माथापच्ची करते रहेंगे। हालांकि हारने वालों के लिए दिवाली का जश्न फीका रहेगा, परंतु विजेताओं के समर्थकों को तो तीन दिन पहले ही जश्न बनाने का बड़ा मौका मिल जाएगा। यह चुनाव कई दिग्गजों की किस्मत बनाने व बिगाड़ने का काम करेंगे।

मनोहर के मंत्रियों की भी परीक्षा

मनोहर के अलावा उनके 10 मंत्रियों ने भी चुनावी परीक्षा दी है। कई मंत्रियों की राह जहां आसान मानी जा रही है वहीं कुछ को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। मनोहरलाल की खुद की दो परीक्षाएं हैं। करनाल विधानसभा क्षेत्र में उनकी राह बिना रुकावट वाली मानी जा रही है, जबकि उनके 75 पार को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आक्रामकता कई बार सामने आ चुकी है। भाजपा को मनोहर के किंग बनने में किसी तरह का संशय नहीं है।

प्रचार के अंतिम चरण में कांग्रेस के लोगों ने भी हुड्डा को बतौर सीएम प्रोजेक्ट करने का पूरा प्रयास किया है। जजपा व इनेलो के सुप्रीमो कुछ भी दावा करते रहें, परंतु दोनों दलों के समर्थकों का यह मानना है कि उनकी पार्टियां किंग मेकर की भूमिका निभा सकती है।

हरियाणा के अतीत को देखें तो दो बार को छोड़कर प्रदेश की जनता ने हमेशा स्पष्ट जनादेश दिया है। जजपा के लिए खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है, परंतु पाने के लिए बहुत कुछ है। अगर पार्टी कुछ बेहतर कर पाती है तो भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के अलावा एक नया क्षेत्रीय दल भी मैदान में दम ठोंकता नजर आएगा।

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