गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर की बहन से सीखें सहज ध्यान की कला..

Praveen Upadhayay's picture

RGA न्यूज 

पूरे भारत में वेबकास्ट टेक्नोलॉजी के जरिये भानु दीदी सीखाएँगी सहज समाधि मेडिटेशन।

बरेली के लोग भी होंगे सहज समाधि मेडिटेशन से लाभान्वित

4 मई को बरेली पहुँच रही है इंटरनेशनल टीचर नीरा मोहन दीदी।

भारत भर में 4 मई से 6 मई तक आयोजित होने वाले सहज समाधि ध्यान में करीब हजारों लोगों की श्रीमती भानुमती नरसिम्हन से सहज समाधि ध्यान सीखने की उम्मीद है। श्रीमती भानुमती नरसिम्हन, पूज्य गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की बहन और “गुरुदेव"ऑन द प्लाटू ऑफ़ द पीक”नामक बेस्टसेलिंग पुस्तक की लेखिका भी हैं।
3,000 से अधिक प्रकाशित वैज्ञानिक पत्रों के अध्ययन से ये बात निकल कर आई है की,ध्यान के लाभ आज सामान्य ज्ञान बन रहे हैं। नियमित सहज समाधि ध्यान के अभ्यास से सोच में स्पष्टता,ऊर्जा में वृद्धि,बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य, संबंधों में लचीलापन और मन को अधिक शांति मिलती है।पिछले अक्टूबर में विश्व मनोचिकित्सा एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में,सहज समाधि ध्यान के नियमित अभ्यास से  हृदय रोग,तंत्रिका तंत्र और ​​अवसाद पर होने वाले प्रभावों पर प्रकाशित एक अध्ययन ने सर्वश्रेष्ठ शोध का पुरस्कार प्राप्त किया।
सहज समाधि कार्यक्रम,ध्यान का अभ्यास करने के आसान और सरल तरीक़े सिखाता है। 14 साल से अधिक उम्र वाले ध्यान करना सीख सकते हैं। प्रतिभागी को मानसिक रूप से एक साधारण ध्वनि का उपयोग करना सिखाया जाता है जो मन को व्यवस्थित करने की सहायता करता है। जैसे ही मन ध्यान की गहराई तक पहुंचता है, तनाव गायब हो जाता है, निर्णय लेने में स्पष्टता आती है और लोगों को जीवन में और अधिक आनंद का अनुभव होता है।
आर्ट ऑफ लिविंग एबीसी मेंबर विशेष कुमार ने बताया बरेली के हमारे राजेन्द्र नगर स्थित मिशन हैप्पीनेस सेंटर पर सहज समाधि मेडिटेशन आयोजित होने जा रहा है जिसको लेने इंटरनेशनल टीचर नीरा मोहन बरेली आ रही हैं।
उन्होंने बताया बरेली में टीचर प्रीति लुनियाल, डॉ ज्योति जगताप को इसकी कमान सौंपी गई है।सहज समाधि मेडिटेशन को लेकर बरेली भर के लोगों में खासा उत्साह है।भारी संख्या में लोग इसमें रजिस्ट्रेशन भी करा रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ 4 मई को साय:5:30 बजे पूरे भारत मे एक साथ होगा,7:30 तक कोर्स चलेगा।ऐसे ही 5 को भी रहेगा।और 6 मई को समय सुबह 10 बजे से 12 बजे तक रहेगा।उसी दिन कोर्स का समापन भी होगा।
भानुमती नरसिम्हन अनूठी तकनीक के लाभों के बारे में बताते हुए कहती हैं,"ध्यान आपके पूरे दिन को ऊर्जावान और उत्पादक बनाए रखने में मदद करता है। इससे आपके चेहरे पर एक ऐसी मुस्कराहट बनी रहती है जिसे कोई चुरा नहीं सकता”।
एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षक, जो भारत में बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं और एक बेस्ट सेलिंग किताब की लेखिका भानुमती नरसिम्हन,  इन सभी भूमिकाओं को आसानी से निभाती हैं, वो लोग जो अपने बाहरी और आंतरिक जीवन में संतुलन खोज रहे हैं उनके लिए वो प्रेरणा का स्त्रोत हैं। वह मानवतावादी और वैश्विक आध्यात्मिक गुरु एवं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की छोटी बहन और उनकी पहली अनुयायी हैं।
भानुमती नरसिम्हन, आज आर्ट ऑफ लिविंग के लोकप्रिय कार्यक्रम सहज समाधि ध्यान के माध्यम से ध्यान के लाभ को लाखों लोगों के जीवन में पहुँचाने के लिए विश्व भर में यात्रा करती हैं। जैसे-जैसे तनाव से संबंधित विकार लोगों के जीवन में तेजी से विकसित होते जा रहे हैं, ऐसे में इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता और लाभ और इस पर किए गए वैज्ञानिक अनुसंधान इसकी प्रमाणिकता के गुंजायमान हैं। ह्रदय संबंधी स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र और नैदानिक ​​अवसाद पर सहज समाधि ध्यान के प्रभाव पर हुए एक अध्ययन को पिछले अक्टूबर विश्व मनोचिकित्सा संघ द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था।
कुछ मायनों में, वह गुरुदेव की पहली अनुयायी,  जो जीवन भर पूरे उत्साह से गुरुदेव के तनाव मुक्त और हिंसा मुक्त दुनिया के लक्ष्य को साझा करती हैं और निरंतर इस ओर प्रयासरत रहती हैं।
आज,वह आर्ट ऑफ लिविंग की महिला एवं बाल कल्याण कार्यक्रमों की अग्रणी हैं। विशेष रूप से, “गिफ्ट ए स्माइल प्रोजेक्ट” उनकी पहचान बन चुका है, वह संपूर्ण भारत भर में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए स्कूल चलती हैं। जहाँ संस्था के 435 स्कूलों में 58,904 बच्चें मुफ़्त शिक्षा प्राप्त करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन (आईडब्ल्यूसी) की अध्यक्षा के रूप में, वह समाज में सकारात्मक परिवर्तन को उत्प्रेरित करने के लिए जिम्मेदार महिलाओं को वैश्विक संबंध बनाने के मिशन की ओर ले जाती है। 80 देशों की 5000 से अधिक महिलाएं जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित एवं सशक्त व्यक्तित्व रखती हैं इस वैश्विक मंच पर शामिल हो चुकी हैं।
उन्होंने गुरुदेव की एक जीवनी भी लिखी है, जिसका नाम “गुरुदेव: ऑन द प्लाटू ऑफ़ द पीक - द लाइफ ऑफ श्री श्री रवि शंकर ” है। उन्होंने गुरुदेव के रहस्यमय जीवन को बारीकी से प्रकट होते हुए देखा है, वह एक ऐसी "कृति" के साथ आयीं हैं जो न केवल श्री श्री रवि शंकर का जीवन, बल्कि उनके जीवन के आध्यात्मिक सार और उसके प्रभाव की कई परतों को उजागर करती है। पुस्तक रिलीज होने के बाद से अमेज़ॅन पर बेस्ट सेलिंग किताबों की सूची में रही है। उन्होंने दो अन्य किताबें, तेजस्विनी और ललिता भी लिखी हैं, जो लोकप्रिय ग्रंथों और प्रथाओं के पीछे छिपे आध्यात्मिक महत्व और रहस्यमय अर्थ का विस्तार करती हैं।
अपने बचपन के दिनों में उन्होंने कर्णाटक संगीत में प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वह स्वयं भी अच्छी गायिका हैं। विश्व भर में कई लोग उनकी सुखद आवाज़ से जागते हैं। उन्होंने कई एल्बमों के माध्यम से पवित्र मंत्र और आत्मापूर्ण भजन प्रस्तुत किए हैं।
भानुमती नरसिम्हन ने बैंगलोर विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। वह विवाहित हैं और दो बेटों, बहुओं और पोतों के साथ बैंगलोर में प्रवास करती हैं और विशेष रूप से आध्यात्मिकता और ध्यान के गहन ज्ञान को साझा करने के लिए पूरी दुनिया में यात्रा करती हैं।

 

 

 

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.