सांस की बीमारी में इस तेल की दो बूंद देगी बड़ी राहत, सोख लेगी दूषित हवा

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RGA न्यूज़ मेरठ उत्तर प्रदेश

डा. निधि शर्मा ने 150 मरीजों को नाक में तेल डालकर रानाइटिस से बचाया। इससे प्रदूषित कण नाक में चिपक गए और माहभर में फेफड़ों में सुधार हुआ।...

मेरठ:- चरकसंहिता के 28वें अध्याय में आत्रेय कहते हैं कि वायु ही आयु है। इस महाग्रंथ ने वायु प्रदूषण से बचाने के लिए बड़ा मंत्र दिया, जिस पर अमल कर जहरीली गैसों से बचा जा सकता है। तिल के तेल की दो बूंद नाक में डालने से कार्बन कणों व पीएम-10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाएंगे। महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की डा. निधि शर्मा ने 150 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया है। चरक संहिता में वर्णित प्रतिमर्श नस्य (नाक से दवा डालकर इलाज) पर शोध करते हुए मरीजों को एलर्जिक रानाइटिस व सांस की बीमारियों से राहत मिली।

मरीजों को मिल रही राहत

मेरठ में मानक 60 से पांच गुना यानी 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक वायु प्रदूषण पहुंच चुका है। सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन एवं मोनोऑक्साइड के सूक्ष्म कण नाक की नलियों में सूजन के जरिए अस्थमा का मरीज बना देते हैं। सीओपीडी के मरीजों को सांस का अटैक आ जाता है। नाक में तेल डालने पर प्रदूषित सूक्ष्म कण इसमें चिपक जाते हैं। ऐसे में प्रदूषण फेफड़ों तक नहीं पहुंचेगा। प्रदूषित वातावरण में रहने वाले मरीजों में एलर्जिक रानाइटिस में कमी भी मिली। प्रतिमर्श नस्य को लेकर सेंटर काउंसिल रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के वैद्य केएस धीमान भी शोध कर रहे हैं।

इन्‍होंने बताया

नस्य में प्रयुक्त तेल नाक के अंदर एक प्रतिरक्षा परत बनाता है। हानिकारक कण नाक के जरिए फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाते हैं। ये नाक के अंदर की श्लेष्मिक ङिाल्ली को भी ताकत देता है। सप्ताह तक नस्य कर्म के बाद मरीजों को प्राणायाम भी कराया गया। माहभर में फेफड़ों में बड़ा सुधार मिला।

- डा. निधि शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज

प्रकृति ने नाक में बाल प्रदूषित कणों को रोकने के लिए ही बनाए हैं। बच्चों में बाल कम होने से एलर्जी जल्द होती है। पीएम-2.5 से एलर्जिक रानाइटिस की बीमारी तेजी से बढ़ी है। रुई में तेल लगाकर नाक साफ करने से प्रदूषित कणों से बचा जा सकता है।

- डा. अभिषेक मोहन, नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ 

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