छठ पूजा 2019 :छठ में यहां नही दिखती धर्म की दीवार, सौ साल से साथ व्रत कर रहे हिंदु-मुसलमान

Praveen Upadhayay's picture

 RGA न्यूज़ समस्तीपुर बिहार

बिहार के समस्‍तुपुर में एक गांव ऐसा भी है जहां मुसलमान समुदाय के लोगों की छठ के प्रति गहरी आस्‍था है। वे सौ साल से छठ व्रत करते आ रहे हैं। ..

समस्तीपुर:- बिहार के एक गांव में छठ के दौरान धर्म की दीवारें गिरती नजर आतीं हैं। वहां हिंदुओं के इस व्रत के प्रति मुसलमानों की भी अगाध श्रद्धा है। हम बात कर रहे हैं बिहार के समस्‍तीपुर जिला सिथत सरायरंजन प्रखंड के बथुआ बुजुर्ग गांव की, जहां हिंदुओं के साथ मुस्लिम परिवार भी छठ व्रत करते हैं। यह परंपरा सौ साल से चली आ रही है।

सौ वर्ष से छठ व्रत करते आ रहे मुसलमान

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि करीब सौ वर्ष पूर्व यहां के मुस्लिमों ने छठ व्रत करना शुरू किया था। उस समय महज दो-तीन मुस्लिम परिवार ही छठ व्रत करते थे। आज इनकी संख्या 15 तक पहुंच गई है।

एक ही घाट पर करते सूर्यदेव की आराधना

बथुआ बुजुर्ग गांव डीहवारणी पोखर पर बने छठ घाट पर हिंदु और मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ सूर्यदेव की आराधना करते हैं। किसी का किसी से द्वेष भाव नहीं। ग्रामीण बताते हैं कि बथुआ बुजुर्ग पंचायत के लहेरिया, सिहमा टोला तथा सीमावर्ती बखरी बुजुर्ग पंचायत के धुनिया टोले के मुस्लिम समाज के लोगों ने इस तालाब के किनारे छठ व्रत करना शुरू किया था।

एक जैसा पेशा होने के कारण बढ़ी निकटता

हिंदुओं में ततमा जाति के लोग व्यवसाय से बुनकर और मुस्लिम धुनिया थे। दोनों समुदाय के लोगों का पेशा एक जैसा होने के कारण इनमें निकटता थी। इस तरह मुस्लिम छठ व्रत की ओर आकृष्ट हुए। कई मुस्लिम परिवारों की मन्नतें पूरी हुईं। इससे उनका जुड़ाव गहरा हुआ

आस्था व श्रद्धा ने किया छठ के लिए प्रेरित

गांव की खुदैया खातून व अजमत बानो तथा मो. इस्माइल कहते हैं कि आस्था और श्रद्धा ने इस महापर्व को करने के लिए प्रेरित किया। वहीं, प्रो. अमरेंद्र कुमार कहते हैं कि सूर्य ऊर्जा के अक्षय स्रोत और प्रत्यक्ष देव हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। इसी तथ्य में विश्वास करते हुए दोनों समुदाय के लोग एक साथ छठ व्रत करते आ रहे हैं।

News Category: 
Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.