17 मई को प्रस्तावित PCS मुख्य परीक्षा आयोग ने टाली

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RGA न्यूज लखनऊ

लखनऊ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने 17 मई को प्रस्तावित पीसीएस मुख्य परीक्षा-2017 टाल दी है। आयोग ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 के परिणाम संशोधन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर रखी है।

ऐसे में परीक्षा का टलना पहले से तय माना जा रहा था। आयोग के सचिव जगदीश के मुताबिक मुख्य परीक्षा की तिथि और इसका विस्तृत कार्यक्रम बाद में अलग से जारी किया जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 में सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र से एक सवाल हटाने और दो सवालों को संशोधित करने का आदेश दे रखा है। साथ ही आयोग को संशोधित रिजल्ट जारी करने को भी कहा है

आयोग ने परीक्षा परिणाम संशोधित करने के बजाय हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीमकोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी है। हालांकि, आयोग को अभी एसएलपी नंबर एलॉट नहीं हुआ है।

नंबर एलॉट होने के बाद सुनवाई की तिथि निर्धारित होगी और परीक्षा के आयोजन में महज 13 दिन बचे थे। मुख्य परीक्षा का आयोजन पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 के मामले में सुप्रीमकोर्ट के निर्णय पर निर्भर कर रहा था।  

मुख्य परीक्षा के अभ्यर्थियों को प्रवेशपत्र जारी करने के लिए आयोग को कम से कम दस दिन का समय चाहिए। इसके अलावा आयोग को परीक्षा संबंधी अन्य तैयारियां भी करनी थीं। ऐसे में इतने कम समय में मुख्य परीक्षा करा पाना मुमकिन नहीं था।

इसी वजह से आयोग को पीसीएस मुख्य परीक्षा-2017 को टालना पड़ा। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि समय की कमी को देखते हुए परीक्षा को टाला गया है। जल्द ही मुख्य परीक्षा की नई तिथि घोषित की जाएगी।

क्या है मामला

आयोग ने 17 नवंबर को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 की उत्तरकुंजी जारी की थी। आयोग ने सामान्य अध्ययन के दो पेपरों में कुल छह गलत सवाल डिलीट किए थे। उत्तरकुंजी पर 24 नवंबर तक आपत्तियां मांगी गईं थीं। आपत्तियां आने के बाद आयोग ने 19 जनवरी को परिणाम के साथ संशोधित एवं अंतिम उत्तरकुंजी जारी की। संशोधित उत्तरकुंजी में भी आयोग ने चार सवाल डिलीट किए।

इस तरह कुल दस सवाल हटाए गए। हालांकि, अभ्यर्थी इससे संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने एक सवाल हटाने और दो सवालों के जवाब को संशोधित करने को कहा। साथ ही परिणाम संशोधित करने का आदेश दिया। आयोग ने इसी आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। 

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