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RGA न्यूज़ पटना
बिहार के राजनीतिक दल राजद जदयू और लोजपा अब बिहार से बाहर निकलकर राजनीति करते दिख रहे हैं। झारखंड चुनाव में ये सभी दल अब सीधी भागीदारी कर रहे हैं।
पटना:- झारखंड विधानसभा चुनाव बिहार में सक्रिय कई राजनीतिक पार्टियों के लिए कद-काया में विस्तार का मौका है। राजद, जदयू एवं लोजपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की सीधी भागीदारी झारखंड विधानसभा चुनाव में हो रही है। राजद सात सीटों पर प्रत्याशी उतार चुका है। जदयू ने भी पूरी तैयारी कर रखी है। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने तो 50 सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान भी कर दिया है।
झारखंड के बाद सबकी अगली तैयारी दिल्ली विधानसभा की भी होगी। जदयू ने तो इससे भी आगे जम्मू-कश्मीर में भी दस्तक देने की घोषणा कर रखी है।
झारखंड के बाद अन्य राज्यों में भी सक्रियता दिखाने को हैं तैयार
भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर बिहार में सक्रिय सभी राजनीतिक दलों का अस्तित्व क्षेत्रीय है। झारखंड और दिल्ली विधान सभाओं के चुनाव होने वाले हैं। बिहार के क्षेत्रीय दलों के पास अपनी पहचान को विस्तार देने का यही मौका है। झारखंड में राजद को महागठबंधन के तहत सात सीटें मिली हैं। सभी पर दमदारी से चुनाव लडऩे की तै
राजद प्रमुख लालू प्रसाद खुद रांची जेल अस्पताल में सजा भुगत रहे हैं। मौके-बेमौके अपने दल के नेताओं का मार्गदर्शन भी करते रहते हैं। संकल्प यात्रा के बहाने तेजस्वी यादव के दौरे भी हो चुके हैं। अगले हफ्ते से फिर सक्रिय होने वाले हैं।
झारखंड में जदयू ने ठोकी है ताल, नीतीश कर रहे नेतृत्व
जदयू ने झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया है। झारखंड में जदयू का पुराना आधार है। राज्य बंटवारे के बाद बनी बाबूलाल मरांडी की पहली सरकार में जदयू की भागीदारी भी थी। 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के साथ गठबंधन कर उसके 18 प्रत्याशी मैदान में आए थे। इनमें से छह जीत भी गए।
यहां पहले ही जदयू को कुल चार फीसद वोट मिले थे। सरकार में भी हिस्सेदारी थी। हालांकि उसके बाद चुनाव दर चुनाव जदयू का ग्राफ गिरता गया। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी के मुताबिक नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू फिर से पुरानी पहचान को प्राप्त करेगा। झारखंड में पहली बार इतनी दमदारी से मैदान में उतरा है। बिहार के मंत्रियों के कार्यक्रम भी लगेंगे।
भाजपा को छोड़ लोजपा ने भी पकड़ी अलग राह
बिहार में भाजपा की अहम सहयोगी लोजपा ने भी झारखंड में अलग राह पकड़ ली है। पहले वह भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर छह सीटों की मांग कर रही थी। बात नहीं बनी तो चिराग पासवान ने 50 सीटों पर अकेले लडऩे की घोषणा कर दी।
लोजपा ने पहले भी झारखंड में भाजपा का सहयोगी बनने की कोशिश की थी, लेकिन भाजपा की ओर से भाव नहीं मिलने पर दो-चार सीटों पर ही लड़कर संतोष कर लेती थी। अबकी पहली बार इतनी बड़ी संख्या में प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है।