RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश लखनऊ
प्रियंका के ऑपरेशन कायाकल्प ने असंतोष के ऐसे बीज बो दिए कि वरिष्ठ कांग्रेसियों ने किनारा कर लिया है। ऐसे में दिल्ली रैली में नए पदाधिकारियों के संगठनात्मक कौशल की परख होनी है।...
लखनऊ:- चुनावी परीक्षा तो अभी दूर की बात है, उससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा और उनकी टीम यूपी को अपनों के बीच ही इम्तिहान से गुजरना है। संगठन में प्रियंका के 'ऑपरेशन कायाकल्प' ने असंतोष के ऐसे बीज बो दिए हैं कि वरिष्ठ कांग्रेसियों ने किनारा कर लिया है। ऐसे में 30 नवंबर को दिल्ली में होने जा रही रैली में भी नए पदाधिकारियों के संगठनात्मक कौशल की परख होनी है।
केंद्र सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन चला रहे कांग्रेस नेतृत्व ने 30 नवंबर को दिल्ली में महारैली करने का एलान किया है। इसके जरिये पार्टी संगठन की ताकत भी दिखाना चाहती है। ऐसे में खास निगाहें उप्र पर हैं, क्योंकि यहां की प्रभारी खुद पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा हैं। कांग्रेस के पुनरोद्धार की आस के केंद्र में भी वही हैं। उम्मीदों के इसी लबादे ने प्रियंका ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा प्रदेश और जिलों में नवगठित पूरी टीम पर बोझ बढ़ा दिया है। अब प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू बैठकें कर आगामी रैली की सफलता की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस बीच नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। दरअसल, युवाओं को ही संगठन में पद दिए जाने के प्रियंका वाड्रा के फार्मूले से वरिष्ठ कांग्रेसी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। खुलकर सामने आ चुके पूर्व जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों ने अपनी नेता के फैसले की आलोचना भी की है।
इधर, प्रदेश अध्यक्ष लल्लू कुछ साधने के प्रयास में जुटे हैं, लेकिन फिलहाल परिणाम सकारात्मक नजर नहीं आ रहे हैं। सोमवार को कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में बैठक के लिए बुलाए गए 68 पूर्व जिला-शहर अध्यक्षों में से 17 ही पहुंचे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि वह रैली से भी कन्नी काट सकते हैं। अब बुधवार को पूर्व विधायकों के साथ ही 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशियों की बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में आमंत्रितों की भागीदारी भी काफी कुछ स्थिति साफ कर सकती है।