भारत से जापान तक बायो सीएनजी से सिटी बस चलाने की गूंज

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RGA न्यूज़ इंदौर मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ प्रशांत कुमार सोनी

इंदौर:- मध्य प्रदेश के इंदौर की चोइथराम मंडी और कबीटखेड़ी में नगर निगम द्वारा स्थापित बायोमिथेनाइजेशन प्लांट की गूंज जापान तक पहुंच गई है। जापान में ग्रीन हाउस गैसों को कम करने की दिशा में शोध और काम करने वाली संस्था एआइएम (एशिया-पैसिफिक इंटीग्रेटेड मॉडल) के सदस्यों को इसके बारे में बताया गया है। भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) में आर्किटेक्चर विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनमोहन कापशे ने बताया कि किस तरह इंदौर के प्लांट में गीले कचरे से सीएनजी बनाकर उसका उपयोग सिटी बस चलाने में किया जा रहा है?

एआइएम की 25वीं सालाना बैठक 18 और 19 नवंबर को जापान के सुकुबा में हुई। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंट स्टडीज में हुई बैठक में भारत के अलावा जापान, वियतनाम, इंडोनेशिया, चीन, थाइलैंड, अमेरिका, कोरिया, नेपाल आदि देशों के 50 प्रतिनिधि शामिल हुए। यह संस्था ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेट चेंज को रोकने की दिशा में अध्ययन करती है। बैठक में विषय विशेषज्ञों ने इस बात पर मंथन किया कि बीते साल अलग-अलग गतिविधियों से किस तरह ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम हुआ और आने वाले साल में वे किन बातों पर अध्ययन या काम करेंगे?

एआइएम से 15 साल से जुड़े प्रो. कापशे ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया को बताया कि गीले कचरे से मीथेन पैदा होती है, जो ग्लोबल वार्मिग बढ़ाने में सहायक है। इंदौर में दो जगह गीले कचरे की प्रोसेसिंग कर उससे सीएनजी पैदा कर रहे हैं। उसका उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के संचालन में हो रहा है। एआइएम ग्रीन हाउस की गणना के लिए मैथेमेटिकल मॉडल बनाती है। प्रो. कापशे के अनुसार, यदि जापान सरकार इस प्रक्रिया पर शोध के लिए धनराशि उपलब्ध कराती है तो वे और कुछ अन्य सदस्य इंदौर आकर रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे जापान सरकार को सौंपेंगे।

इस तरह बदल रही इंदौर की तस्वीर

अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेस लि. के सीईओ संदीप सोनी बताते हैं कि शहर के चोइथराम मंडी में रोजाना 800 किलोग्राम सीएनजी पैदा हो रही है। मंडी से निकलने वाले 20 मीटिक टन गीले कचरे से यह गैस बनाई जा रही है। यह प्लांट करीब दो साल पहले स्थापित किया गया था। इसे केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय ने भी आदर्श माना था। इसके निर्माण में करीब 13 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

दूसरा प्लांट कबीटखेड़ी में बनाया गया है, जहां गीले कचरे से रोज 600 किलोग्राम सीएनजी पैदा हो रही है। वहां रोज 15 मीटिक टन गीले कचरे से गैस बनाई जा रही है। इस प्लांट को शुरू हुए सालभर हुआ है। कबीटखेड़ी में प्लांट निर्माण की लागत करीब 6.30 करोड़ रुपये आई है।

फिलहाल जितनी सीएनजी पैदा हो रही है, उसका इस्तेमाल छह बसों में किया जा रहा है। हालांकि, अभी पूरी क्षमता से गैस पैदा नहीं हो पा रही, लेकिन भविष्य में सीएनजी से 35-40 बसें चलाने की योजना है।

जापान के सुकुबा में 18-19 नवंबर को हुई एआइएम की सालाना बैठक

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