
RGA न्यूज़ मेरठ
किसान खुलेआम काली नदी के गंदे पानी से सिंचाई कर रहे हैं। सब्जियों में शीशे की मात्रा अत्यधिक दिख रहे जहरीले प्रभाव।...
मेरठ:- यह खबर आपको आगाह करने वाली है। रोजाना किस तरह सेहत की उम्मीद में हम सब्जियों के बहाने जहर खा रहे हैं, यह बताने वाली है। चंद रुपयों के लालच में किसान भी ईमान हार गया है तो प्रशासन धृतराष्ट्र की भूमिका में है ही। किसी को आम जनता की चिंता नहीं। आम आदमी ताजी सब्जियों के लालच में गंदे पानी से सींचा हुआ आलू, मेथी, गोभी पता नहीं और क्या-क्या सुबह, दोपहर, शाम खा रहा है। ..और यह सब ऐसा इसलिए हुआ कि काली नदी का पानी हम जैसे लोगों ने गंदगी गिराकर जहर बना दिया। अब घूमकर वही जहर हमारे हर निवाले में पहुंच रहा है।
सब्जियों में पोप्स, पानी में क्रोमियम
नालों के निकट उगाई जाने वालीं सब्जियों की जांच की गई तो रिपोर्ट चौंकाने वाली निकली। इनमें पेस्टीसाइड की खतरनाक मात्र मिली। नीर फाउंडेशन के निदेशक नदी पुत्र रमन त्यागी कहते हैं कि जांच रिपोर्ट के अनुसार यहां की सब्जियों में पोप्स यानी परसिस्टेंट आर्गेनिक पाल्यूटेंट्स मिले हैं जो किसी भी व्यक्ति के लिए खतरनाक हैं। यह दुनियाभर में प्रतिबंधित हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि अगर ये किसी तरह भी एक बार जीवन चक्र में शामिल हो जाएं तो हवा-पानी के जरिए सौ वर्ष से भी ज्यादा समय के लिए अस्तित्व में बने रहते हैं। काली नदी के काले पड़ चुके पानी को जांचने पर पाया गया कि इसमें खतरनाक क्रोमियम की मात्र भी काफी बढ़ी है। बता दें कि क्रोमियम की अधिकता लीवर, पेट की बीमारी, बांझपन का कारक बन सकती है। ज्यादा मात्र में क्रोमियम किडनी भी खराब कर सकता है
इन्होंने बताया
आमतौर पर हम लोगों को हरी सब्जियां, सलाद खाने की सलाह देते हैं। हर थाली में सब्जी की मात्र पिछले कुछ वर्षो में बढ़ी है, लेकिन दूषित जल से सींचे जाने की स्थिति में फायदा तो दूर यह नुकसान ज्यादा पहुंचा रहे हैं। जलालपुर, कोल, कुढ़ला, अलीपुर जैसे गांवों के अधिकांश मरीजों में लेड और क्रोमियम की वजह से होने वाली बीमारियां ज्यादा मिलती हैं। केवल नदी किनारे नहीं, उस गंदे पानी से सींची गई सब्जियों को भी जो खाएगा वह खतरे के रडार पर रहेगा
- डा. तनुराज सिरोही, वरिष्ठ फिजिशियन
डीएम ने काली नदी के दोनों ओर निर्माण कार्य परखा
काली नदी के दोनों ओर मार्ग निर्माण का कार्य की प्रगति परखने के लिए डीएम सेल्वा कुमारी जे ने अधिकारियों के साथ पटरी मार्ग का निरीक्षण किया। साथ ही गन्ने के खेतों में जाकर किसानों से पत्ती नहीं जलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि उपकरणों से पत्ती को मिट्टी में आसानी से मिलाकर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है।
लाइफ लाइन है काली नदी निर्मल जल से होगा उद्धार
मुजफ्फरनगर के खतौली-जानसठ रोड स्थित गांव अंतवाड़ा में काली नदी के उद्गम स्थल को देखने हर रोज लोगों की भीड़ उमड़ रही है। लोग ग्रामीणों से काली नदी का इतिहास जानने और वर्तमान में काली नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जो जीर्णोद्धार हो रहा है, उसके बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। बुधवार को पल्लवपुरम फेज-दो स्थित आरएन इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के दो दर्जन छात्र-छात्रएं शिक्षक विवेक कुमार सिंह और शिक्षिका वंदना चौधरी के साथ अंतवाड़ा गांव में काली नदी के उदगम स्थल पर पहुंचे। बच्चों ने काली का इतिहास जाना। बच्चों ने अपनी-अपनी वाटर बॉटल से साफ जल नदी में प्रवाहित किया। साथ ही काली नदी को स्वच्छ बनाए रखने की शपथ भी ली। बच्चों ने वहां सेल्फी भी ली। अंतवाड़ा निवासी समाजसेवी धनपाल सिंह यहां वाले लोगों की जलपान कर पुण्य कमा रहे हैं।