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वीरांगना अवंतीबाई राजकीय गर्ल्स डिग्री कॉलेज में एमए की पढ़ाई कर रहीं आस्था आकृति और नेहा गंगवार गाय के गोबर से सजावटी वस्तुएं तैयार करती हैं। ..
बरेली : वीरांगना अवंतीबाई राजकीय गर्ल्स डिग्री कॉलेज में एमए की पढ़ाई कर रहीं आस्था, आकृति और नेहा गंगवार गाय के गोबर से सजावटी वस्तुएं तैयार करती हैं। गोबर को गंदगी समझने वालों के लिए इन तीन बहनों ने नजीर पेश की है। साबित कर दिया कि गोबर बेकार नहीं बल्कि अगर दिमाग लगाया जाए तो यह कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है। तीनों बहनों ने गोबर से ऐसी वस्तुएं बनाई हैं जो न सिर्फ इको फ्रेंडली है बल्कि आपके घर की खूबसूरती में चार चांद लगा देंगी। इनमें दो सगी बहनें हैं जबकि तीसरी उनकी मौसेरी बहन है।
पापा की डेयरी से आया आइडिया : आस्था बताती हैं कि उनके घर डेयरी का संचालन होता है। 15 गाय हैं। दूध को बाजार में बिक जाता है लेकिन गोबर खेतों में ही फेंक दिया जाता था। उसे देखने के बाद मुङो आइडिया आया कि इसका प्रयोग करके कुछ नई चीजें तैयार कर सकते हैं। फिर तीनों ने बैठकर सबसे पहले गणोश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं तैयार कीं। इसे दीपावली में लोगों ने खूब पसंद किया। करीब दस हजार रुपये की बिक्री हो गई।
एमए की पढ़ाई कर रहीं है आस्था : वीरांगना अवंतीबाई राजकीय गल्र्स डिग्री कॉलेज से एमए कर रहीं आस्था गंगवार, नेहा सगी बहनें है, आकृति गंगवार उनकी मौसेरी बहन हैं। तीनों तिलहर की रहने वाली हैं। पिता ऋषिपाल गंगवार किसान हैं और डेयरी का संचालन करते हैं। तीनों बहनों ने मिलकर इनोवेटिव स्टार्टअप शुरू किया है। यह स्टार्टअप है गाय के गोबर से घर के सजावटी वस्तुएं तैयार करना। इसमें वॉल डेकोर, वॉल हैंगर, वॉल पेंटिंग, देवी देवताओं की प्रतिमाएं आदि चीजें शामिल है। खास बात है कि यह देखने में जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही सस्ते भी हैं।
ऑनलाइन बेचने की कर रही तैयारी : आकृति बताती हैं कि गोबर से बनी सभी वस्तुएं इको फ्रेंडली हैं। अगर ये टूट भी जाते हैं तो इसका प्रयोग खाद तैयार करने में किया जा सकता है। इसकी कीमत बीस रुपये से शुरू होकर 150 रुपये तक है। इसलिए लोगों को इसे खरीदने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। इसकी बिक्री गांव के आसपास कि दुकानों में फिलहाल हो रही है।