RGA न्यूज़ पश्चिम बंगाल कोलकाता
तृणमूल कांग्रेस की योजना विधानसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की है।...
कोलकाता:- बंगाल में तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (तृकां) ने 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि भाजपा की ओर से पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने के खिलाफ प्रचार पार्टी की हित में रहा और जीत में मददगार साबित हुआ। अब पार्टी की योजना विधानसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की है।
TMC का दावा- एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक भाजपा को पहुंचाएगा नुकसान
गौरतलब है कि शुक्रवार को ही तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पार्टी प्रमुख व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि आप तैयार रहें, आजादी के 72 साल बाद हम फिर एक आजादी की लड़ाई लड़ेंगे, क्योंकि धार्मिक आधार पर नागरिकता हमें मंजूर नहीं। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी चुनाव के दौरान उक्त विधेयक के खिलाफ प्रचार पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसे पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने 'दूसरा स्वतंत्रता संग्राम' करार दिया है। दरअसल, इन नेताओं को लगता है कि आगामी चुनाव में 120 सीटें निर्णायक साबित होंगी, जहां अल्पसंख्यक और शरणार्थी आबादी अच्छी खासी तादाद में है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करने की बात कही गई है, जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो। तकरीबन साठ साल पुराने नागरिकता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के बाद इन्हें अवैध प्रवासी न मानकर भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
भाजपा को नुकसान पहुंचाएगा विधेयक
तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं की राय है कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के बाद यह नागरिकता संशोधन विधेयक 'बंगाल में भाजपा के ताबूत में आखिरी कील' साबित होगा। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हम सभी ने देखा है कि लोकसभा चुनावों के केवल छह महीने बाद बंगाल में कैसे माहौल भाजपा के खिलाफ हो गया है। असम में एनआरसी ने उनके खिलाफ काम किया। अब यह नागरिकता संशोधन विधेयक भाजपा को और नुकसान पहुंचाएगा। वह इन दोनों मुद्दों पर जनता के मनोभाव को भांपने में नाकाम रहे हैं। उक्त नेता ने कहा कि हमने भी शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित किया, लेकिन इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा। वे (भाजपा सरकार) नागरिकता देने के लिए मानदंड तय कर सकते हैं, लेकिन धर्म कभी भी मानदंड नहीं हो सकता।
..तो ममता करेंगी विधेयक का समर्थन
शुक्रवार को ममता बनर्जी ने कहा था कि वह इस विधेयक का समर्थन करेंगी, अगर हर शरणार्थी को नागरिकता दी जाए, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो। बनर्जी ने कहा था कि हम पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं ले सके, जिससे हमें आजादी मिली, लेकिन हम दूसरे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेंगे। हम एनआरसी और सीएबी का विरोध करेंगे।'