RGA न्यूज आगरा उत्तर प्रदेश ब्यूरो चीफ सोनू शर्मा
वीटेक वबाग कंपनी के अफसरों की लापरवाही के चलते यमुना नदी गंदी हुई। ...
आगरा:- यमुना की गंदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) चिंता जता चुका है। इसके बाद भी जिम्मेदार लापरवाही दर लापरवाही कर रहे हैैं। 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नीरी और पर्यावरणविद् एमसी मेहता की कमेटी गठित की है। कमेटी चार सप्ताह में रिपोर्ट देगी। यह कमेटी कभी भी आगरा आकर मौका मुआयना कर सकती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो
मंगलवार रात में एसटीपी बंद होने और गंदा पानी नदी में सीधे जाने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। यह वीडियो विभिन्न एसटीपी के हैं। वीडियो एक से दो मिनट के हैं जिसमें सीवेज और कूड़ा नदी में गिरते हुए दिखाया गया है।
यह एसटीपी रहे बंद
- धांधूपुरा, 78 एमएलडी
- जगनपुर, 14 एमएलडी
- पीलाखार, 10 एमएलडी
- धांधूपुरा, 24 एमएलडी
- भीमनगरी, 12 एमएलडी
- नगला बूढ़ी, 2.5 एमएलडी
- बिचपुरी, 40 एमएलडी
डीएम भी सख्त
एसटीपी बंद क्यों किए गए। इसका वीटेक वबाग कंपनी के अफसरों से जवाब मांगा गया है। इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एनजी रवि कुमार, डीएम
यमुना में बहा था 343 कुंतल कूड़ा
उफ यह लापरवाही। वीटेक वबाग कंपनी को काम संभाले। 24 घंटे भी नहीं हुए लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के संचालन में अभी से लापरवाही बरतनी शुरू हो गई है। 15 घंटे तक सात एसटीपी की जालियों से कूड़ा नहीं निकाला गया। 343 कुंतल कूड़ा नदी में बह गया है। वहीं मंगलवार को चार घंटे तक नगला बूढ़ी एसटीपी बंद रहा। आगरा शहर के सात एसटीपी और 28 मुख्य पंपिंग स्टेशन के संचालन का जिम्मा वीटेक वबाग कंपनी ने शुरू कर दिया है। 17 घंटे कंपनी ने कार्यभार नहीं संभाला। जल निगम ने स्टाफ हटा लिया और कंपनी ने अपने स्टाफ की तैनाती नहीं की। इससे सीवेज नदी में गिरता रहा। सोमवार शाम पांच बजे प्रत्येक एसटीपी पर दो-दो कर्मियों की तैनाती की गई। पूर्व में एसटीपी पर तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगती थी। यह आठ-आठ घंटे की होती थी। एक कर्मचारी जाली से कूड़ा निकालने के लिए रखा जाता था लेकिन वबाग कंपनी ने ऐसा नहीं किया। मंगलवार सुबह आठ बजे एक कर्मचारी की तैनाती की गई। भले ही एसटीपी चलते रहे हों लेकिन जालियों से कूड़ा नहीं निकाला गया। सामान्य तौर पर 14 घंटे में एक एसटीपी से सात कुंतल कूड़ा निकलता है। कूड़े में प्लास्टिक की सामग्री सहित अन्य चीजें होती हैं। छोटे एसटीपी से एक सेकेंड में 117 लीटर और बड़े एसटीपी से 250 मीटर गंदे पानी की निकासी होती है। उधर, मंगलवार शाम चार घंटे तक नगला बूढ़ी स्थित एसटीपी बंद रहा। शाम छह बजे यहां पर तैनात दोनों कर्मचारी मोटर बंद कर चले गए। यह रात दस बजे वापस आए। तब तक गंदा पानी यमुना नदी में बहता रहा।
प्रारंभिक जांच में फंसे जल निगम और वबाग के अफसर
यमुना नदी को गंदा करने में जल निगम और वीटेक वबाग कंपनी के अफसर फंस गए हैं। यह पर्दाफाश प्रारंभिक जांच में हुआ है। मंडलायुक्त अनिल कुमार ने ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) प्राधिकरण और उप्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अफसरों को कार्रवाई के आदेश दिए हैं। पूरे की मामले की रिपोर्ट मांगी है।
टीटीजेड प्राधिकरण के चेयरमैन और मंडलायुक्त अनिल कुमार ने जल निगम के अफसरों से रिपोर्ट मांगी थी। जल निगम के अफसरों ने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गई है। जांच में सात एसटीपी चलते हुए नहीं मिले। साथ ही कई ऐसे भी एसटीपी हैं जो अधिक देर तक बंद रहे हैं। दो दर्जन स्टाफ के बदले दो-दो कर्मचारियों का स्टाफ तैनात किया गया है। मंडलायुक्त ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट में एसटीपी का संचालन सही से नहीं पाया गया है। इसके लिए जल निगम और कंपनी के अफसर दोषी हैं। हस्तांतरण इस तरीके से होना चाहिए कि एसटीपी बंद न हो। उन्होंने बताया कि टीटीजेड प्राधिकरण और यूपीपीसीबी के अफसरों को कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
मेयर बोले लापरवाह है वबाग, शासन को लिखेंगे पत्र
एसटीपी का संचालन सही तरीके से न करने पर मेयर नवीन जैन ने नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया कि वीटेक वबाग कंपनी के अफसरों की लापरवाही के चलते यमुना नदी गंदी हुई है। नगर निगम प्रशासन इस पर सख्त कार्रवाई करेगा। शासन को भी पत्र लिखा जाएगा। साल में 42.80 करोड़ रुपये का भुगतान होना है। इससे कटौती की जाएगी।
कंपनी के अफसरों ने साधी चुप्पी
यमुना नदी को गंदा करने को लेकर वीटेक वबाग कंपनी के अफसरों ने चुप्पी साध ली है। मुख्य बिजनेस अफसर मोहम्मद सफी का कहना है कि कंपनी ने सात एसटीपी और 28 मुख्य पंपिंग स्टेशन का संचालन शुरू कर दिया है।