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पॉकेटमारी की घटना आमतौर पर छोटी मानी जाती है लेकिन इसके पीछे बड़ा गिरोह काम करता है। इन गिरोहों का नेटवर्क पूरे पूर्वांचल में फैला हुआ है। मंगलवार को सैदपुर से चले सदानंद गुप्ता नामक व्यापारी का पीछा पॉकेटमार ने सैदपुर से किया और बनारस में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सामने उसने ई-रिक्शा पर बैठे-बैठे मौका पाते हाथ की सफाई दिखा दी। वह बीस हजार रुपए लेकर चंपत हो गया।
घटना के शिकार सैदपुर के डेकोरेटर सदानंद गुप्ता ने बताया कि वह युवक सैदपुर से ही उसके आसपास था। जब वह बनारस आने के लिए बस में चढ़ा तो वह भी उसके पीछे-पीछे बस में चढ़ गया। वह उसकी बगल वाली सीट पर ही बैठा था। बनारस में अंधरापुल उतरने के बाद जब सदानंद एक ई-रिक्शा में बैठ गए और सवारी भरने के बाद ई-रिक्शा जैसे ही आगे बढ़ने लगा वह जल्दबाजी में आकर मेरे बगल में बैठ गया। पीछे की सीट पर तीन लोग होने के कारण मैं बीच में दब गया था। उसने कब पैंट की अगली जेब पर ब्लेड मारा और कब बीस हजार रुपए निकाल लिए। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पास अचानक ई-रिक्शा रुकवाया। उतर कर भाड़ा दिया और पीछे की ओर चला गया। आराम से बैठते ही जब सदानंद ने अपनी जेब पर हाथ रखा तो उनके होश उड़ गए। जेब बाहर से फटी थी। उन्होंने तुरंत ई-रिक्शा रुकवाया और दौड़ कर उसके पीछे गए। उन्होंने देखा कि वह विश्राम स्थल के पास पहले से खड़ी बाइक पर बैठ रहा था। जब तक वह बाइक तक पहुंचते बाइक सवार दूर निकल चुका था।