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RGA न्यूज: (मध्यप्रदेश)
जून 2017 में प्याज और दूध के उचित दाम किसानों को न मिलने पर सड़कों पर अपनी उपज फेंकने को मजबूर हुए 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की आबादी वाले मध्य प्रदेश के किसान महाराष्ट्र के किसान आंदोलन का सर्मथन करते हुए मंदसौर में प्रदर्शन किया।
सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने न सिर्फ सड़कों पर प्याज और दूध फेंका, बल्कि मंडियों और दुकानों को बंद कर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया।
मंदसौर में किसान आंदोलन तब और उग्र हो गया जब मंडी में प्रदर्शन के लिए जा रहे किसानों पर पुलिस बल ने रोकने का प्रयास किया और किसानों पर फायरिंग कर दी। फायरिंग में 5 किसानों समेत 6 लोगों के मारे जाने पर किसानों के इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया।
किसानों ने कम से कम 12 ट्रकों और दुकानों पर तोड़फोड़ और आगजनी कर सरकार के खिलाफ हल्लाबोल दिया। रेलवे फाटक तोड़ दिए गए और गुस्साए किसानों ने रेलवे ट्रैक को भी उखाड़ दिया। कई किसान संगठनों के नेताओं ने राज्य की भाजपा सरकार की निंदा की और किसान विरोधी सरकार बताया। हालात बिगड़ने पर मध्य प्रदेश के मंदसौर, रतलाम, उज्जैन समेत कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद करने के साथ कफ्र्यू लगा दिया गया।
लगभग दस दिनों तक चले इस हिंसक आंदोलन के बाद शिवराज सरकार ने प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया। इतना ही नहीं, मारे गए किसानों को मुआवजा देने का ऐलान करने के साथ किसान नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें किसानों के हित में निर्णय लेने व मामले की पूरी जांच कराने का आश्वासन दिया।
इसके अलावा 2017 में देश भर में दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों में हुए किसान आंदोलनों में मध्य प्रदेश के किसानों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। हाल में दिल्ली घेराव आंदोलन में भी मध्य प्रदेश के किसानों ने हरियाणा में सरकार के खिलाफ आवाज उठाई।