बच्चों को इस्लाम के प्रभाव से दूर करने की कवायद में चीन की कम्युनिस्ट सरकार

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RGA न्यूज़ बीजिंग

शिनजियांग प्रांत में चरमपंथी हिंसा रोकने के लिए सरकार शिक्षा को अहम घटक मानती है। इन स्कूलों का संचालन इसी उद्देश्य से किया जा रहा है।...

बीजिंग:- वह पढ़ने में होशियार है और सहपाठी उसे पसंद भी करते हैं, लेकिन वह हमेशा मायूस रहती है। अपनी मां को याद कर अक्सर अकेले में रोने लगती है। आश्चर्य की बात यह भी है कि उसका मायूस रहना किसी अध्यापक को चौंकाता नहीं है।

कहानी है बोर्डिग स्कूल में पढ़ रही उइगर मुस्लिम समुदाय की बच्ची की

यह कहानी है चीन के शिनजियांग प्रांत के एक बोर्डिग स्कूल में पढ़ रही उइगर मुस्लिम समुदाय की बच्ची की। उसके पिता की मौत हो चुकी है और मां को अल्पसंख्यक मुस्लिमों के लिए बने डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया है। बच्ची को किसी रिश्तेदार के पास भेजने के बजाय अधिकारियों ने उसे जबरन एक बोर्डिग स्कूल पहुंचा दिया है।

पांच लाख बच्चों को मां-बाप से दूर बोर्डिग स्कूल में भेज दिया गया

यह अकेला मामला नहीं है। क्षेत्र में ऐसे करीब पांच लाख बच्चों को मां-बाप और अन्य परिजनों से दूर किसी बोर्डिग स्कूल में भेज दिया गया है। शिनजियांग प्रांत में ऐसे सैकड़ों सरकारी बोर्डिग स्कूल खोले गए हैं।

चीन ने 10 लाख उइगर, कजाख लोगों को जेलों एवं डिटेंशन सेंटर में डाल रखा

उल्लेखनीय है कि चीन ने पिछले तीन साल से करीब 10 लाख उइगर, कजाख व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जेलों एवं डिटेंशन सेंटर में डाल रखा है। लोगों में इस्लाम के प्रति आस्था कमजोर करने के उद्देश्य से चीन सरकार ऐसे कदम उठा रही है। दुनियाभर में आलोचना के बाद भी चीन सरकार बदस्तूर इस दिशा में बढ़ रही है और अब बच्चों को भी इस कदम का हिस्सा बना लिया गया है।

सैकड़ों स्कूल खोलने की तैयारी

बच्चों को मां-बाप से अलग कर बोर्डिग स्कूल में डालने का उद्देश्य है कि उनमें सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी एवं विचारधारा के प्रति सम्मान पैदा हो। शिनजियांग प्रांत में 800 से ज्यादा टाउनशिप हैं और सरकार अगले साल के अंत तक हर टाउनशिप में ऐसे एक से दो बोर्डिग स्कूल खोलने की तैयारी में है। सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज में यह बात सामने आई है।

शिक्षा देने की आड़ में बच्चों को उनके परिवार और मजहब से दूर रखने की योजना

सरकार का कहना है कि इन स्कूलों का निर्माण गरीबी से लड़ने के लिए किया जा रहा है। जिनके माता-पिता कहीं दूर काम करते हैं या उनके पालन-पोषण में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए भी शिक्षा सुलभ हो सकेगी। यह सच भी है कि कई ग्रामीण परिवार अपने बच्चों को यहां भेजने के लिए लालायित रहते हैं, लेकिन इसी की आड़ में सरकार बच्चों को उनके परिवार और मजहब के प्रभाव से दूर रखने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। बच्चों को प्राय: इसलिए यहां आना पड़ता है, क्योंकि सरकार ने उनके मां-बाप को या तो डिटेंशन सेंटर भेज दिया है, उन्हें कहीं दूर नौकरी का आदेश दे दिया है या अक्षम अभिभावक घोषित कर दिया है।

बाहरी लोगों की पहुंच से दूर कड़ी सुरक्षा में हो रहा स्कूलों का संचालन

इन स्कूलों को बाहरी लोगों की पहुंच से दूर और कड़ी सुरक्षा में संचालित किया जा रहा है। शिनजियांग प्रांत के लोग भी इस बारे में कुछ नहीं बोलते हैं। निर्वासन में जी रहे कुछ उइगर परिवारों के साक्षात्कार, सरकारी दस्तावेजों, नोटिस, सरकारी मीडिया की रिपोर्टो और स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापकों के ब्लॉग से ही यहां की कुछ तस्वीरें सामने आ पाती हैं। सरकारी मीडिया और आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, शिनजियांग प्रांत में चरमपंथी हिंसा रोकने के लिए सरकार शिक्षा को अहम घटक मानती है। इन स्कूलों का संचालन इसी उद्देश्य से किया जा रहा है।

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