बेअसर रहा बंद : ग्रामीण भारत बंद पर भारी पड़ी किसान संगठनों की गुटबाजी, आम द‍िनों की तरह खुले रहे बाजार

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RGA न्यूज़ लखनऊ

भाकियू ने किया किनारा टिकैत बोले- किसानों का नहीं राजनीतिक था बंद। विभिन्न संगठनों की ओर से बंद की घोषणा और यूपीटीईटी व आइआइटी जेई के परीक्षाओं के चलते सतर्क रहा प्रशासन।...

लखनऊ:- किसान-मजदूरों के मुद्दों को लेकर बुधवार को आहूत ग्रामीण भारत बंद पर किसान संगठनों की गुटबाजी भारी पड़ी। श्रमिक संघ और वाम दलों का समर्थन मिलने से शहरी इलाकों में बंद का असर कार्यालयों व कारखानों में ही दिखा। सामान्य जनजीवन पर भी कोई प्रभाव नहीं नजर आया।

कहने के लिए ग्रामीण भारत बंद किसानों के करीब 250 संगठनों की संयुक्त संस्था 'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति' ने आहूत किया था लेकिन उप्र में सक्रिय किसान संगठनों की भागीदारी नाम मात्र की थी। भारतीय किसान यूनियन जैसे प्रभावी संगठनों द्वारा बंद से दूरियां बना कर रखने का प्रतिकूल प्रभाव भी दिखा।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना था कि बंद किसानों का नहीं वरन राजनीतिक था इसलिए आम किसानों ने फासला बनाकर रखा। रबी फसलों की बोआई व गन्ना कटाई का काम जोरों पर है। ऐसे में किसानों का काम और आपूर्ति बंद रखना नुकसानदेह होता। टिकैत ने कहा कि वैसे संसद का सत्र निकट या चल रहा हो तब ही आंदोलन कारगर होते है।

उधर, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक व पूर्व विधायक वीएम सिंह का दावा है कि भारत बंद सरकार को घेरने में सफल सिद्ध हुआ। कुछ किसान संगठनों द्वारा बंद में साथ न देने के सवाल पर सिंह ने चुप्पी साधी। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में किसानों व मजदूरों की एकजुटता के सकारात्मक परिणाम आएंगे

दूसरी ओर वामपंथी दलों सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), फारवर्ड ब्लाक व लोकतांत्रिक जनता दल ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन किया। वरिष्ठ नेता प्रेमनाथ राय ने आरोप लगाया कि बंद को असफल कराने में सरकार का पूरा तंत्र लगा था परंतु कामयाबी न मिली। उन्होंने कहा कि सरकार की तानाशाही के खिलाफ किसान मजदूर निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे।

कांग्रेस का समर्थन

ग्रामीण भारत बंद के समर्थन में राहुल गांधी का ट्वीट आ जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता सक्रिय हुए परंतु अपेक्षित माहौल न बन पाने के कारण पैर पीछे खींच लिए। सपा, बसपा एवं रालोद जैसे दलों का भी बंद को समर्थन न था।

बंद पूर्णत: फ्लाप : भाजपा

ग्रामीण भारत बंद को पूरी तरह फ्लाप बताते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता डा. समीर सिंंह ने आरोप लगाया कि बंद के आह्वान को ठुकराकर जनता खासतौर से किसानों ने माहौल बिगाडऩे वाले तत्वों को नकार दिया है। 

पुलिस ने शांतिपूर्ण निपटाई दोहरी चुनौती

आइजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार का कहना है कि सभी जगह पूरी मुस्तैदी बरतने के निर्देश दिए गए थे। सभी जगह शांति-व्यवस्था कायम रही। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई ङ्क्षहसा की घटनाओं के बाद प्रदेश में हाई अलर्ट है। खासकर ङ्क्षहसा प्रभावित जिलों व अन्य संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश हैं। दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों पर हुए हमले की घटना के बाद भी पुलिस को हर स्तर पर पूरी मुस्तैदी बरतने व खुफिया तंत्र को सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं। 

भारत बंद के आह्वान का बुधवार को राजधानी में किसी तरह का असर नहीं दिखा। यहां बंद को पूरी तरह खारिज करते हुए सामान्य दिनों की तरह कामकाज हुआ और सभी बैंक, बाजार, व्यावसायिक प्रतिष्ठान तथा कार्यालय खुले रहे। हालांकि, आयकर कर्मचारी महासंघ एवं राजपत्रित अधिकारी संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयकर भवन पर जरूर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और कामकाज ठप रखा।

प्रमुख बाजारों में रोजाना की तरह व्यापार

राजधानी के बाजारों मेें रोजाना की तरह चहल-पहल रही। हालांकि, मौसम के कारण अधिकांश लोग घरों में रहे, लेकिन बाजार सारे खुले रहे। लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक पांडेयगंज और रकाबगंज बाजार खुले रहे। यहियागंज के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने बताया कि बर्तन, होजरी, कॉस्मेटिक्स, चौक सराफा समेत सभी बाजार खुले रहे। व्यापारी नेताओं अशोक मोतियानी और अनिल बजाज के मुताबिक गणेशगंज, अमीनाबाद, लाटूश रोड, नजीराबाद समेत सभी जगहों पर दुकानें खुलीं। पवन मनोचा ने नाका ङ्क्षहडोला क्षेत्र में आम दिनों की तरह कामकाज की बात कही। अध्यक्ष देवेंद्र गुप्ता ने भूतनाथ और इंदिरानगर क्षेत्र में साप्ताहिक बंदी के बावजूद दुकानें खुलने की बात कही।

व्यापारी नेता अमित अग्रवाल के मुताबिक सुभाष मार्ग की किराना और गल्ला मंडी में भी रोजाना की तरह ही बिक्री रही। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल ने भी इस हड़ताल से संगठन को अलग रखने की बात कही। मडिय़ांव, अलीगंज, डालीगंज आदि क्षेत्र के बाजार खुले रहे। संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंजनी पांडेय व आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि ट्रांस गोमती क्षेत्र में भी कारोबार का सिलसिला आम दिनों की तरह चलने की बात कही। चारबाग, आलमबाग, ऐशबाग, नक्खास, सिटी स्टेशन, मौलवीगंज आदि स्थानों पर भी बाजार खुले रहे।

बैंकों में भी आमदिनों की तरह कामकाज

राजधानी के बैंकों में भी रोजाना की तरह कामकाज हुआ। एक-दो स्थानों पर कुछ संगठनों ने बैंक के बाहर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। बाकी सभी स्थानों पर बैंकों में कामकाज सुचारू रहा। 

आयकर कर्मियों का प्रदर्शन

दस सूत्रीय मांगों को लेकर आयकर कर्मचारी महासंघ एवं राजपत्रित अधिकारी संघ के संयुक्त तत्वावधान में कर्मियों ने बुधवार को आयकर भवन पर प्रदर्शन कर कामकाज नहीं किया। आयकर मुख्यालय के बाहर जमा कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। सभा हुई। संगठन (आईटीजीओए)के महासचिव जेपी सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब सरकार नहीं सुनती है तो ऐसे प्रदर्शन और हड़ताल जरूरी हो जाती है। आयकर कर्मचारी महासंघ के चित्रसेन सिंह ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली जरूरी है। अध्यक्ष गौरव प्रकाश एवं जोनल सचिव अजय कुमार ने दस सूत्रीय मांगों की जानकारी दी।

संयुक्त सचिव ब्रजेश यादव ने कहा कि हड़ताल और बंद लोकतंत्र का एक सशक्त पहलू है। इसी के माध्यम से अपनी बात संबंधित जिम्मेदारों तक आसानी से पहुंचाई जा सकती है। रितेश कुमार ने कहा हड़ताल एकजुटता को प्रमाण है। वक्ताओं ने सरकारी संस्थानों का निजीकरण रोकना, कें द्रीय विभागों में खाली पड़े पदों की भर्ती करना, कर्मचारियों को पांच समयबद्ध पदोन्नतियां, न्यूनतम वेतन, अनुकंपा नियुक्ति पर लगाई गई सीमा को हटाए जाने समेत अन्य मांगों के बारे में विस्तार से बताया। इस मौके पर विपनेश कुमार, नीलू गौतम, डीके सिंह, अनुपम मिश्रा, संजय पांडेय, धर्मेंद्र कुमार, आशीष कनौजिया, गौरव प्रकाश, राजेश कुमार समेत कई कर्मचारी मौजूद रहे। 

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