टेंट में अंगीठी जलाकर साेए दंपती की दम घुटने से मौत, कहीं आप तो नहीं कर रहे हैं ये काम

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RGA न्यूज़ उत्तराखंड बागेश्वर

बागेश्‍वर जिले में टेंट के अंदर अंगीठी जलाकर साेए नेपाली दंपती की दम घुटने से मौत हो गई है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर उनके परिजनों को सौंप दिया है।...

बागेश्वर:- बागेश्‍वर जिले में टेंट के अंदर अंगीठी जलाकर साेए नेपाली दंपती की दम घुटने से मौत हो गई है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर उनके परिजनों को सौंप दिया है। घटना की जानकारी दूसरे दिन पुलिस तक पहुंच सकी और पुलिस जांच में जुट गई है। कुछ दिनों पहले पिथौरागढ़ जिले में भी बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोए दो लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी।

टनकपुर में रहकर करते थे मजदूरी

मूलरूप से नेपाल के बड़लम, दुल्लू निवासी गोपी सुनार (39) पुत्र पदम सिंह सुनार और उनकी पत्नी कमला देवी (35) कांडा तहसील के टकनार गांव में मजदूरी करते थे और टेंट में रहते थे। स्थानीय लोगों के अनुसार ठंड बढऩे से उन्होंने टेंट के भीतर आग जलाई थी और वे सो गए। रात भर आग जलती रही और आग से निकलने वाले धुएं से वे बेहोश हो गए। गत मंगलवार की देर शाम तक टेंट में किसी भी प्रकार की हलचल नहीं होने पर स्थानीय लोगों ने उनकी कुशल जानने की कोशिश की और टेंट के भीतर झांका तो वे दंग रह गए। दपंती टेंट के भीतर मृत होने की सूचना लोगों ने पुलिस को दी।

परिचितों को दे दी गई है हादसे की जानकारी

कांडा में तैनात एसआइ यशवंत सिंह दलबल के साथ घटना स्थल पहुंचे और शवों का पंचनामा किया। उन्होंने बताया कि दंपती मजदूरी करते थे और उनके साथियों को घटना की जानकारी दी गई है। शवों का पोस्टमार्टम कर उन्हें सौंप दिया गया है और घटना की सभी कोणों से जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद घटना के असल कारणों का पता चल सकेगा, जबकि मौत का कारण दम घुटना प्रतीत हो रहा है।

कम हो जाता है कमरे में आक्‍सीजन का लेवल

कोयला या अलाव जलाने से कार्बन के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं। कोयला बंद कमरे में जल रहा हो, तो इससे एन्‍वायरनमेंट में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और ऑक्सीजन का लेवल घट जाता है। यह कार्बन, ब्रेन पर सीधे असर डालता है और सांसों के जरिए बॉडी के अंदर भी पहुंचता है। ब्रेन पर असर होने से कमरे में सोया कोई भी इंसान बेहोश हो सकता है। ब्लड में यह कार्बन घुलकर धीरे-धीरे ऑक्सीजन को कम कर देता है। बंद कमरे में लंबे समय तक ब्लोअर या हीटर जलाने से कमरे का तापमान बढ़ जाता है और नमी का लेवल कम हो जाता है। इस वजह से नॉर्मल लोगों को भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है। अगर आप हीटर का प्रयोग करते हैं, तो कमरे में एक बाल्टी पानी रखें, जिससे कुछ हद तक नमी बनी रहे।

इस वजह से चली जाती है जान

हीटर, ब्लोअर या अंगीठी जलाते समय कमरे को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए। गर्मी से धीरे-धीरे कमरे का ऑक्सीजन खत्म हो जाता है और कार्बन मोनोऑक्साइड ज्यादा होने लगता है। यह जहरीली गैस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच कर खून में मिल जाती है। इस वजह से खून में हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और बेहोशी छाने लगती है और इंसान की मौत हो जाती है। अगर कमरे में एक से ज्यादा व्यक्ति सो रहे हैं तो ज्यादा देर तक आग न जलाएं, क्योंकि ज्यादा लोग होने से कमरे में ऑक्सीजन की और कमी हो जाती है।

यह बरतें सावधानी

अगर आप ब्लोअर या हीटर का प्रयोग करते हैं तो इसे थोड़े समय के लिए ही करें। इससे एक ओर कमरे की नमी बनी रहेगी और आपके शरीर को भी नमी मिलती रहेगी। गर्म कमरे से अचानक बाहर जाने पर भी बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए बाहर जाने से पहले यानी हीटर से अलग हटकर कुछ देर समय बीता लें, तब बाहर जाएं।

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