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RGA न्यूज़ राजस्थान जयपुर
जयपुर:- पिछले वर्ष दिसंबर में राजस्थान के कोटा में 100 बच्चों की मौत का मामला गरमाने के बाद अब सामने आया है कि पिछले एक वर्ष में राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में करीब 18 हजार बच्चों की मौत हुई थी। राजस्थान सरकार ने विधानसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी है। भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी द्वारा राजस्थान विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मृत्यु का कारण अधिकांश बच्चों का अत्यंत गंभीर स्थिति में अन्य स्थानों से रैफर होकर भर्ती होना बताया गया है। इसके अतिरिक्त बच्चों की मौतों के लिए विभिन्न गंभीर बीमारियों, जन्मजात विकृतियों, समय से पूर्व जन्म, अत्यधिक कम वजन आदि कारण बताए गए हैं।
जवाब में बताया गया है कि जनवरी 2019 से 15 जनवरी 2020 तक प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में 13173 बच्चों की मौत हुई है। इनमें कोटा में 988, जयपुर में 4519, उदयपुर में 1839, अजमेर में 1494, बीकानेर में 1755, जोधपुर में 1901 व झालावाड़ में 677 बच्चों की मौत हुई है। वहीं प्रदेश के ब्लॉक स्तरीय सरकारी अस्पतालों में 1642 व जिला स्तरीय अस्पतालों में 3113 बच्चों की मौतें (कुल 17928) हुई हैं।
देवनानी का कहना है कि ये तथ्य न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि राजस्थान सरकार की नाकामी को भी दर्शा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री में थोड़ी भी संवेदना बची हो तो वे अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें नहीं तो अपने पद से इस्तीफा सौंप दें। देवनानी ने कहा कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से संबंधित अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ ही आईसीयू जैसी सुविधाएं होते हुए भी पिछले सालभर में 13173 बच्चे काल के गाल में समा गए।
देवनानी ने कहा कि सरकार को मासूमों की मौतों की जिम्मेदारी से बचने की जगह सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों व अन्य स्टाफके रिक्त पदों पर नियुक्ति के साथ ही अस्पतालों में आवश्यक संसाधन व उपकरण उपलब्ध कराने पर ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में वहां बच्चों की जानें बचाई जा सकें।