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पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद केंद्र सरकार की चिंता बढ़ गई है। राहत की चौतरफा मांग के बीच तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि सरकार तेल की कीमतों को काबू में रखने के तमाम विकल्पों पर विचार कर रही है और जल्द ही इसकी घोषणा होगी।
प्रधान ने एक कार्यक्रम में कहा कि कदम दर कदम तेल की कीमतों में कमी के विकल्पों पर विचार जारी है। जल्द ही दाम नीचे आएंगे। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें अक्तूबर 2014 के स्तर पर पहुंच जाने के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ी हैं। ओपेक देशों द्वारा लगातार तेल उत्पादन में कटौती और अमेरिका-चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने बाजार में दबाव बढ़ाया है। ओपेक के साथ शीर्ष उत्पादकों में से एक रूस भी आपूर्ति में कमी ला रहा है, जिससे हालात और बिगड़े हैं।
गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और 80 फीसदी जरूरत के लिए आयात करना पड़ता है। कच्चे तेल का दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 80 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से उछाल पर रही है और ऐसे में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी इसे पटरी से उतार सकती है।
जीडीपी के 2.5% पहुंचेगा चालू खाते का घाटा
एसबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कच्चे तेल में उछाल से वित्त वर्ष 2018-19 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 2.5 फीसदी पर पहुंच सकता है। यह वर्ष 2017-18 में 1.9 फीसदी थी। चालू खाते का घाटा विदेशी मुद्रा के प्रवेश और निकासी के अंतर को बताता है। तेल दस डॉलर प्रति बैरल बढ़ने से जीडीपी में 0.16 फीसदी, महंगाई पर 0.30 फीसदी और वित्तीय घाटे पर 0.08 फीसदी का असर पड़ता है।
उद्योग जगत ने गुहार लगाई
फिक्की अध्यक्ष राशेष शाह की मानें तो कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें एक बार फिर तेजी के रुख पर हैं। इससे महंगाई बढ़ने के साथ व्यापार घाटा भी ऊंचाई पर होगा। साथ ही रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट होगी।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने बताया कि उत्पाद शुल्क में कटौती से पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से तात्कालिक राहत मिलेगी। वहीं दीर्घकालिक और स्थायी समाधान है कि इसे जीएसटी के दायरे में लाना है।
खजाने पर चोट पड़ेगी
80% जरूरत का तेल आयात करता है भारत
01 लाख करोड़ रुपये पहुंचेगा आयात बिल 2018 में
02 गुना होगा 2015 और 2016 के मुकाबले
कच्चा तेल बना मुसीबत
54 हजार करोड़ बोझ बढ़ता है तेल 10 डॉलर बढ़ने से
17 डॉलर बढ़ चुके हैं एक साल में कच्चे तेल के दाम
20 फीसदी बढ़ गया आयात बिल पिछले एक साल में
10 फीसदी तेल आयात बढ़ने की संभावना 2018-19 में
90 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकता है तेल इसी साल में
इन बातों का असर
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों से आपूर्ति में कमी आना तय
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध को लेकर तनाव
उत्तर कोरिया-अमेरिका में वार्ता पटरी से उतरने की आशंका
अमेरिका में भी तेल और गैस की मांग तेजी से बढ़ी ।