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लखीमपुर खीरी- डिलीवरी के दौरान प्रसूता की मौत हो जानें पर अस्पताल ने उसको सीरियस बताकर रेफर कर दिया। रास्ते में परिवार वालों को शक होने पर उसे वापस अस्पताल लाए। अस्पताल में मरीज को लेने से मना करने पर हंगामा हुआ और इसके बाद महिला अस्पताल लाकर प्रसूता की मौत की पुष्टि की गई।
मंगलवार को गोला क्षेत्र के गांव अलीगंज में रहने वाले अनुज कुमार अपनी पत्नी सुमनदेवी को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल लेकर चले। पीड़िता के साथ गांव की आशा नीलम शुक्ला भी साथ थी। नीलम ने पीड़िता के परिवार वालों को सरकारी अस्पताल ले चलने की जगह एक निजी हास्पिटल लेकर आ गई।
अस्पताल में डिलीवरी के दौरान लगभग 12:30 बजे बेटी का जन्म हुआ। इसी दौरान सुमन देवी की हालत गंभीर हो गई। उसे आनन फानन में रेफर कर दिया गया। परिवार वाले महिला को लेकर एलआरपी चौराहे पर ही सुमन की सांस न चलने का एहसास हुआ। इस पर घर वाले उसे वापस अस्पताल ले गए। अस्पताल के स्टाफ ने उसे अपने अस्पताल में लेने से मना कर दिया। इसके बाद परिवार वाले उसको लेकर महिला अस्पताल आए, यहां पर मौजूद डॉक्टर ने सुमन को मृत घोषित कर दिया। इस पर मृतका के परिवार वालों ने जमकर हंगामा किया। साथ ही मामले की शिकायत सीएमओ, पुलिस और डीएम से भी की है।
आशाओं की सेंटिग से हो रहा बेखौफ काम- जिले में गांव स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा की जानकारी देने और सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए आशाओं को रखा गया था। इस समय हालत उलट हैं। सरकारी अस्पतालों की जगह पर आशाएं मरीजों को प्राइवेट अस्पताल ले जा रही है। लोगों का कहना है इसमें इनका सेंटिग का खेल चल रहा है। यह एक मामला नहीं है एक साल में इस तरह के दर्जनों मामले प्रकाश में आ गए है।