RGA न्यूज़ बरेली ब्यूरो चीफ
बरेली कोरोना वायरस के संकट से केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग जूझ रहे हैं। इस घोर स्वास्थ्य संकट में दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाएं धराशायी हो रही हैं। करोड़ों लोगों के रोजगार पर मुसीबत टूट पड़ी है। कोरोना वायसन से उपजे आर्थिक संकट ने विश्व की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिया है। ऐसे में दुनिया भर के देश अपने नागरिकों को जितना संभव हो, उतनी राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं। भारत ने भी इस आर्थिक संकट को पहचानते हुए कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं मगर यह कहते हुए हमें बेहद तकलीफ और अफसोस हो रहा है कि भारत में जिस तरह पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए गए हैं, उसने सभी सराहनीय प्रयासों पर पानी फेर दिया है। इससे न केवल आम लोगों को रोजमर्रा अपने वाहनों में पेट्रोल-डीजल डलवाने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है बल्कि ट्रकों का भाड़ा बढ़ने से जरूरत का सारा सामान भी महंगा होता जा रहा है। किसानों के लिए फसल को पानी देना भी महंगा हो गया है। पेट्रोल-डीजल के दाम और उसके साथ-साथ महंगाई बढ़ने के संबंध में हम कुछ तथ्य और मांगें आपके सामने विस्तार से रख रहे है
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी कमी
सारी दुनिया जानती है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी कमी आई है। इसका सीधा फायदा देश की जनता को मिलना चाहिए। सच यह है कि जनता को इसका रत्ती भर फायदा नहीं मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय रुझानों के बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। कोरोना वायरस से जूझती देश की जनता को इस तरह परेशान किया जाना न केवल दुख की बात है बल्कि शर्म की बात भी है। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत आधी से भी कम रह गई है तो आम लोगों से पेट्रोल-डीजल के ज्यादा दाम वसूलने से उन पर दोहरी मार पड़ रही है। ऐसे समय में हमारा रवैया और भी अधिक मानवीय होना चाहिए था मगर हम ठीक इसका उलट कर रहे हैं। ऐसे हालात में हमारा आपसे सादर आग्रह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दाम गिरने का लाभ देश की आम जनता तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार को प्रेरित करें।
तेल पर भारी एक्साइज ड्यूटी और केंद्र सरकार का झूठा प्रचार
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर केंद्र सरकार केवल यही जवाब देकर हाथ झाड़ रही है कि ये कीमतें उसके हाथ में नहीं बल्कि बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव पर आधारित हैं। सच यह है कि पेट्रोल और डीजल पर देश की जनता लगभग 70 फीसदी टैक्स दे रही है। केंद्र सरकार ने 2014 से लेकर अभी कुछ महीने पहले तक 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जो 2014 में लगभग 8 रुपये से बढ़कर 23 रुपये तक पहुंच गई। केंद्र सरकार इतने पर ही नहीं रुकी बल्कि लगभग दो महीने पहले उसने एक बार में पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये एक्साइज ड्यूटी और बढ़ा दी। इस तरह पेट्रोल पर केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी लगभग 33 रुपये तक पहुंच गई और उसी अनुपात में डीजल पर भी बढ़ोत्तरी हुई। इतना ही नहीं, सभी राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाती हैं। केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी में राज्य सरकार का वैट जुड़ने के बाद कुल टैक्स लगभग 55-56 रुपये तक पहुंच जाता है। इन आंकड़ों में छिपा सच यह है कि आज भारत जो तेल 18 या 19 रुपये प्रति लीटर में खरीद रहा है, वह जनता को 70 फीसदी टैक्स जोड़कर 80 से 85 रुपये प्रति लीटर में बेचा जा रहा है। इसलिए हमारी मांग है कि केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी में कमी कर के पेट्रोल-डीजल के दाम कम करे और बाजार के नियमों का बहाना बनाकर जनता को मूर्ख बनाना बंद करे
राज्य सरकारों से वैट कम करने की मांग
देश की आम जनता को राहत न पहुंचाने का पाप केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि सभी राज्य सरकारें कर रही हैं। सच यही है कि इस अन्याय में ये सभी बराबर के हिस्सेदार हैं। इनमें केवल भाजपा की राज्य सरकारें ही नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों में अन्य राजनीतिक दलों की सरकारें भी शामिल हैं। यदि केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी में छूट के साथ-साथ राज्य सरकारें अपने स्तर से वैट में भी छूट देंगी तो आम जनता को बड़ी राहत मिल सकेगी। आपसे निवेदन है कि अपने स्तर से केंद्र सरकार और राज्यपालों के माध्यम से राज्य सरकारों तक आम जनता की इस मांग को पहुंचाएं तथा इस पर कार्यवाही सुनिश्चित कर देश की जनता को राहत दें।
माल की ढुलाई और फसलों को पानी देना भी महंगा
अब तो स्थिति यह है कि डीजल के दाम पेट्रोल से भी अधिक हो गए हैं। इससे ट्रकों की माल ढुलाई और फसलों को पानी देना भी महंगा होना निश्चित है। ट्रकों का भाड़ा बढ़ने का सीधा असर जरूरी सामान की कीमतों पर पड़ेगा और आखिरकार यह बोझ भी जनता की जेब पर ही आएगा। इसी प्रकार जब किसान फसलों पर ज्यादा खर्च करेगा तो या तो उसका मुनाफा कम होगा या फिर जनता को गल्ला और सब्जी महंगी खरीदनी होगी। दोनों ही स्थितियों में देश की आम जनता पिसकर रह जाएगी। इसलिए आपसे आग्रह है कि पेट्रोल के साथ-साथ डीजल की कीमतों पर विशेष रूप से लगाम रखने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को प्रेरित करें।
उपरोक्त बिंदुओं के अतिरिक्त कई अन्य ऐसे बिंदु हैं जो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के कारण आम जनता के लिए मुसीबत बन गए हैं। हमें विश्वास है कि देश के प्रथम नागरिक होने के नाते आप इन सभी बिंदुओं से परिचित हैं। ऐसी संकट की घड़ी में देश के करोड़ों नागरिक आपकी ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। हमें विश्वास है कि आप हमारे आग्रह पर गंभीरता से विचार करेंगे और कोरोना संकट के इस दौर में देश की जनता को पेट्रोल-डीजल और महंगाई की दोहरी मार से बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे