RGA न्यूज़ संवादाता डॉक्टर एमपी सिंह
वाराणसी _ चीन का कारोबार तेजी से घट रहा है । लोगों व व्यापारियों ने ड्रैगन को बाहर का रास्ता दिखाने की ठानी है । वाराणसी व आस पास के व्यापारियों ने पांच करोड़ रुपये के चीनी उत्पाद का आर्डर रद कर यह संदेश भी दे दिया । यहां तक की बनारसी साड़ी में लगने वाले रेशम के धागे का भी आयात घटकर 25 फीसद रह गया है । बेसिक ड्रग से दवाइयों के फार्मूलेशन और मेडिकल उपकरणों की तो इनका विकल्प भारत में 100 फीसद तैयार करना पड़ेगा । इसके बाद ही हम चीन को रास्ते पर ला सकते हैं। इसके लिए जरूरी है आत्म निर्भर होना । ऐसे में सरकार को दवा कंपनियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए नियमों में ढील देनी होगी ताकि चीन के मुकाबले उत्पाद वाजिब रेट में तैयार कर सकें ।
सीमा विवाद के बाद पूरे भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार व आयात बंद करने की मांग जोर पकड़ रही है । इसके लिए आत्मनिर्भर होने की भी बात की जा रही है । हमारे निर्यात के मुकाबले चीन चार गुना ज्यादा अपना सामान भारत भेजता है । भारतीय दवा कंपनियां 60 - 70 फीसद चीन से आयातित कच्चे माल पर निर्भर हैं । कारण कि जर्मनी या अन्य देशों की तुलना में चीनी मशीनरी सस्ती मिलती है । हेल्थ केयर उपकरणों की भी यही स्थिति है । केमिकल, उर्वरक संग फार्मा इंडस्ट्री में बेसिक ड्रग का बड़ी हिस्सा चीन से आयात किया जाता है । हिमाचल, उत्तराखंड आदि राज्यों की इकाइयां चीन के बेसिक ड्रग से दवाइयों का फार्मूलेशन करतीं हैं । इन इकाइयों से जानना चाहिए कि चीन से आयातित सस्ते बेसिक ड्रग का मुकाबला स्थानीय स्तर पर कैसे हो ।
पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी सप्तसागर वाराणसी में ही है । यहां प्रतिमाह 890 करोड़ का कारोबार होता है । केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी के अध्यक्ष मनोज खन्ना ने बताया कि वैसे तो वाराणसी में फार्मा कंपनियां नहीं हैं , लेकिन दवाओं का कारोबार बेहतर है । लॉकडाउन के दौरान भी अप्रैल में 888 करोड़ का कारोबार हुआ । हेल्थकेयर , सर्जिकल उपकरण व दवा का 40 फीसद कच्चा माल चीन का ही होता है । कच्चा माल भारत में ही तैयार हो तो चीन पर निर्भरता कम होगी । बस , फार्मा इंडस्ट्री को सरकार से आर्थिक व नियमों में राहत संग प्रोत्साहन मिले । वही दी स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटिया ने बताया कि चीन को पछाडऩे के लिए उद्योग का ढांचा व तकनीकी पक्ष मजबूत करना होगा । सस्ती व गुणवत्ता युक्त चीजें बनाने के लिए बेहतर शोध होने चाहिए । यहां बीस साल पहले पैकेजिंग की मशीनें बनती और निर्यात होती थी । बाद में चीन से मंगाई जाने लगीं हैैं । एसोसिएशन के महासचिव नीरज पारिख का कहना है कि प्रिटिंग व पैकेजिंग की वाराणसी में दो हजार मशीनें हैं । साड़ी कारोबार से जुड़े हार्डवेयर, लैपटॉप, कंप्यूटर, कढ़ाई की मशीनें 95 फीसद चीन से ही आती हैं । ये मशीनें यहां बनाने के लिए सरकार भी साथ दे रही है ।