लक्ष्य के प्रति समर्पण और टाइम मैनेजमेंट ने बनाया टॉपर

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मजबूत इरादे कि सबसे बेहतर करना है। इसके लिए लक्ष्य साधा और समय प्रबंधन करते हुए पूरी तरह से समर्पित होकर पढ़ाई की।...

RGA न्यूज बरेली अमर जीत सिंह संवाददाता 

 बरेली : मजबूत इरादे कि सबसे बेहतर करना है। इसके लिए लक्ष्य साधा और समय प्रबंधन करते हुए पूरी तरह से समर्पित होकर पढ़ाई की। इससे विषयों पर पकड़ ने उनको अच्छे अंक दिला दिए। नतीजतन, वे टॉपर बन पाए। टॉपर्स ने कामयाबी के अपने फंडे बताए। कहा कि विद्यार्थी जीवन में समय प्रबंधन का विशेष महत्व है। हर दिन, हर घंटे के हर मिनट क्या करना है, इन्होंने पूरा शेड्यूल बनाया। उसके मुताबिक उन्होंने पढ़ाई और अन्य कार्यो की योजना बनाई।

फ‌र्स्ट टॉपर

कॉरपोरेट से होकर आइएएस बनना चाहतीं कौशिकी

बरेली: मैंने, आइएएस का लक्ष्य इसलिए तय किया क्योंकि बुनियादी शिक्षा की सूरत बदलना चाहती हूं। आज देश और समाज को ऐसे नौजवानों की जरूरत है जो उसके विकास में अपनी एनर्जी लगाएं। अगर हर कोई विदेश या फिर कॉरपोरेट जॉब में चला जाएगा तो फिर देश कैसे आगे बढ़ेगा? यह कहना है इंटरमीडिएट की मंडल टॉपर कौशिकी दीक्षित का। बीबीएल पब्लिक स्कूल की कौशिकी ने 98.4 फीसद अंकों के साथ मंडल में टॉप किया है।

कौशिकी कहती हैं कि आज देश में जो समस्याएं हैं, उनसे पार पाने के लिए लोगों का नजरिया बदलने की जरूरत है। नकारात्मक सोच के बजाय हम सकारात्मक रहकर समस्या से पार पा सकते हैं। सिविल सेवा से पहले जो लोग देश सेवा की बात करते हैं उन पर घपले-घोटालों के आरोप लगते हैं? कौशिकी कहती हैं कि हर कोई गलत नहीं हो सकता? यही बदलाव लाने की जरूरत है। अगर पांच फीसद भी अच्छे लोग हैं तो मैं उनके जैसा काम करूंगी। मेरी ख्वाहिश दौलत जुटाना नहीं बल्कि सेवा करना है। बहरहाल पहले मैं आइआइटी से इंजीनिय¨रग करना चाहती हूं। जेईई एडवांस के रिजल्ट का इंतजार है। पढ़ाई के बाद कॉरपोरेट का तजुर्बा लेना है। फिर सिविल की तैयारी। कौशिकी राजेंद्र नगर निवासी शरद दीक्षित और नीलम दीक्षित की बेटी हैं। शरद दीक्षित एआरटीओ विभाग में तैनात हैं। कौशिकी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को देती हैं।

वह कौशिकी बताती हैं कि मैंने रोजाना आठ से दस घंटे पढ़ाई की है। क्या 98.4 फीसद अंकों की उम्मीद थी? सवाल पर वो आत्मविश्वास के साथ कहती हैं, बिल्कुल। मैंने बहुत मेहनत की है। आपके जूनियर कैसे पढ़ाई करें जो इतने अंक आएं? इस पर उनका कहना है कि अपने लक्ष्य पर फोकस रखें। खुद से ईमानदार होकर पढ़ें। भरोसा रखें। यकीनन अच्छे अंक आएंगे।

कौशिकी के अंक

-कंप्यूटर : 100

-केमिस्ट्री : 100

-फिजिक्स : 99

-मैथ्स : 98

-अंग्रेजी : 95 

सेकेंड टॉपर-

हर्ष बोले- हर इंसान से मिलती है सीख

जासं, बरेली: बुरा हो या अच्छा, बस देखने का नजरिया होना चाहिए। इसलिए हर इंसान से सीख मिलती है। यह कहना है मंडल में दूसरे स्थान प्राप्त करने वाले हर्ष अग्रवाल का।

बीडीओ कालोनी निवासी हर्ष के पिता दिलीप अग्रवाल व्यापारी है। मां संगीता अग्रवाल गृहणी है। फिलहाल हर्ष सीए की तैयारी भी कर रहे हैं। बारहवीं के बाद वह डीयू से स्टेटिक्स ऑनर्स करना चाहते हैं। उनकी नजरों में कोई रोल मॉडल नहीं है। वह हर किसी के भीतर छिपी अच्छाई को देखते हैं। उनका कहना है, सफल व्यक्ति वह नहीं जो सिर्फ किसी में कमी निकाले बल्कि उसकी कमियों को दूर करने का प्रयास करे और उसकी अच्छाई का बोध कराकर उसके बेहतर इंसान बना दे। इसलिए सफल शिक्षाविद् बनकर हर्ष ज्ञान बांटना चाहते हैं।

सफलता का मूल मंत्र बताते हुए कहा, पढ़ाई को बोझ समझकर इसके प्रेशर तले दबने से बचना चाहिए। विषयों को रटने की बजाय समझकर पढ़ना चाहिए। बताया, जब कभी पढ़ाई के दौरान कुछ ऐसा महसूस किया तो बहन व माता-पिता से हौसला टूटने नहीं दिया।

हर्ष राजनीति से दूर रहना चाहते हैं लेकिन राजनीतिक उतार चढ़ाव को देश के लिए हितकर नहीं मानते हैं। उनका कहना है, इससे लोगों में नकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं। बेरोजगारी बढ़ने के कारण युवाओं के कदम अपराध की ओर बढ़ते हैं। लोगों में कानून का डर हो, महिला उत्पीड़न बंद हो, विकास के नाम पर भ्रष्टाचार बंद हो तभी मुल्क तरक्की कर सकता है। इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा। इसी प्रयास को सार्थक करने के लिए प्रोफेसर बनना चाहता हूं।

थर्ड टॉपर-

मोटिवेटर बनना चाहती हैं पलक

जासं, बरेली: प्रभावशाली व्यक्तित्व ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लोग उनकी बात सुनने तथा मानने को तैयार हो जाते हैं। सकारात्मक सोच के साथ वह विकास की पटकथा तैयार कर सकता है। मंडल में तीसरा स्थान हासिल करने वाली पलक वतवानी भी कुछ ऐसी ही जन नायक बनना चाहती है।

जनकपुरी निवासी पलक के पिता राजेंद्र कुमार वतवानी बिजनेसमैन हैं। मां स्वाती वतवानी गृहणी हैं। पलक अपना करियर संवारने के साथ देश हित में भी काम करना चाहती हैं। इसलिए वह अपना ब्लॉग भी लिखती है। फिलहाल वह दिल्ली विश्वविद्यालय से इको-ऑनर्स करना चाहती हैं। देश से गरीबी दूर करने के लिए विकास की योजना बनाना चाहती है। आत्म विश्वास से लबरेज होकर सिविल सर्विस का मंच तैयार करना चाहती हैं।

पलक ने बताया, आज युवा अध्यात्म से दूर हो रहे हैं जबकि हमारी धर्म संस्कृति हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। इसके लिए जरूरी नहीं मंदिर में जाकर ही शीश नवाया जाए। मन में विश्वास हो तो कुछ भी मुमकिन नहीं है। उन्होंने बताया, पढ़ाई के दौरान हमेशा डर लगा रहता था। परीक्षा में अंक कम आए तो क्या होगा, इस आशंका से मन विचलित हो जाता था। लेकिन परिवार का साथ मिला तो इस अनिश्चितता के बादल छट गए और सफलता की सीढ़ी चढ़ते देर नहीं लगी।

राजनीति के परिदृश्य पर पलक का कहना है कि यहां कुछ भी स्थाई नहीं रहता। रातो-रात फैसले बदल जाते हैं। इसलिए युवाओं को नेतृत्व के लिए आगे आना होगा। लेकिन युवा जब तक किसी मुकाम पर नहीं पहुंचेंगे तो उनकी बात कोई नहीं सुनेगा। इसलिए उन्हें मजबूती के साथ देश के विकास के लिए अपना मंच तैयार कर होगा।

थर्ड टॉपर-

प्रगति बोलीं- सकारात्मक रहकर की तैयारी

बरेली : परीक्षा से एक महीना पहले मैंने सैंपल पेपर और रिवीजन पर फोकस किया था। पूरे साल औसतन रोजाना तीन-चार घंटे पढ़ाई की। जनवरी में जरूर छह से सात घंटे अध्ययन किया। अब मैं सीए बनना चाहती हूं। इसके बाद सिविल की तैयारी करूंगी। ताकि इंडियन रेवेन्यू सर्विस में जा सकूं। पढ़ाई और करियर की यह रणनीति है सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में 98 फीसद अंक हासिल कर तीसरे स्थान पर रहीं प्रगति अग्रवाल का।

आलमगिरी गंज निवासी मनोज अग्रवाल और रेनू अग्रवाल की बेटी प्रगति बीबीएल पब्लिक स्कूल की छात्रा हैं। प्रगति कहती हैं कि इंजीनिय¨रग के बजाय कॉमर्स में ज्यादा मौके हैं इसलिए मैंने इसे चुना है। वो कहती हैं कि दबाव के बजाय सकारात्मक रहकर पढ़ें। खेल-कूद या बाकी शौक भी पूरे करें। वो अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को देती हैं। उनके पिता एलआइसी में तैनात हैं।

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