औली में गुप्ता बंधुओं के बेटों की शाही शादी के मामले में आ गया हाईकोर्ट का अहम फैसला, जानिए

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RGA न्यूज़ उत्तराखंड नैनीताल

औली में भारतीय मूल के अरबपति कारोबारी गुप्ता बन्धुओं के बेटों की करीब 200 करोड़ की शाही शादी पर हाई कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फैसला सुना दिया है।...

नैनीताल:- चमोली जिले के प्रसिद्ध बुग्याल पहाड़ के घास के मैदान औली में भारतीय मूल के अरबपति कारोबारी गुप्ता बन्धुओं के बेटों की करीब 200 करोड़ की शाही शादी पर हाई कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की कोर्ट ने इस मामले में सचिव टूरिज्म की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है, जो ऐसे आयोजनों की अनुमति देने पर विचार करेगी।

कोर्ट ने आदेश में साफ कर दिया है कि टूरिज्म व पर्यावरण के बीच में तालमेल रखें। यह भी कहा है कि औली में क्षमता के अनुसार ही पर्यटकों को भेजा जाए और सरकार विंटर खेलों के साथ एडवेंचर टूरिज्म को ही यहां बढावा दें। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार की मंशा भले ही सही हो मगर सरकार को पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी ये उसकी जिम्मेदारी भी है। बुग्याल वाले मामले में कोर्ट ने आदेश नहीं दिया लेकिन कोर्ट ने कहा है कि अगर औली बुग्याल नहीं भी है तो जैव विविधता के लिये महत्पूर्ण इलाका है और उसको बनाए रखना होगा । इस मामले पर कोर्ट के विस्तृत आदेश अभी आना शेष है।

औली बुग्याल में गुप्ता परिवार की पिछले साल 2019 में 18 से 20 जून तक शादी को लेकर अधिवक्ता रक्षित जोशी ने जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा था कि औली बुग्याल में सरकार ने शादी की अनुमति दी है ऐसे आयोजन से ना सिर्फ पर्यावरण को बल्कि ईको सिस्टम को भी हानि पहुंचेगी। याचिका में सरकार पर कानून विरुद्ध अनुमति देने दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग व शादी को रोकने की मांग की गई थी। हांलाकि कोर्ट ने इस मामले में शादी पर रोक लगाने से इंकार करते हुए गुप्ता परिवार को तीन करोड़ जमा करने का आदेश दिया था जिससे बाद में पर्यावरण के नुकसान की भरपाई की गई थी।

हांलाकि सुनवाई के दौरान औली में कूड़ा कचला प्लास्टिक व गंदगी पर नाराजगी व्यक्त की तो सरकार ने अपने बचाव में कहा कि औली बुग्याल नहीं है जिसके चलते शादी की अनुमति दी गई थी लेकिन कोर्ट ने इस प्रश्न पर वाडिया इंस्टिट्यूट , जीबी पंत, हिमालयन इंस्टिट्यूट, फॉरेस्ट रिसर्च इस्टीट्यूट व एनआईएम नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेन संस्थानों से जवाब मांगा था कि औली बुग्याल है कि नहीं। अब आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।

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