![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/02_08_2020-lallu_033_20584941.jpg)
RGA न्यूज़ झारखंड धनबाद
विवादित ढांचा ध्वस्त करने से पहले लल्लू तिवारी उसपर चढ़ गए थे एवं भगवा झंडा फहराया। तब वह तस्वीर एक पत्रिका में प्रकाशन हुई थी। उसी के आधार पर धनबाद में लल्लू पर केस हुआ था।...
धनबाद:- हीरापुर माडा कॉलाेनी की एक संकरी गली में एक किराना दुकान पर लल्लू तिवारी (रंजीत कुमार तिवारी) व्यवसाय में तल्लीन हैं। तभी छह-सात वर्ष का एक बच्चा वहां से अपने पिता के साथ गुजरते हुए जाेर से नारा लगाता है- जय श्री राम। प्रत्युत्तर में लल्लू तिवारी भी बाेल उठते हैं- जय श्री राम। तिवारी का यह परिचय अनायास ही नहीं है। वे विवादित ढांचा विध्वंस के पाेस्टर ब्वाय रह चुके हैं। अब जबकि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के नींव पूजन की तिथि निकट आ चुकी है, तिवारी बेचैन हैं कि वे इस समाराेह में शरीक हाेने अयाेध्या नहीं जा सकते। काेराेना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के कारण वे बेबस हैं।
विवादित ढांचा के नजदीक एक दीवार फादने की जुगत में कारसेवकों के बीच लल्लू। (साभार : लल्लू तिवारी)
मस्जिद ध्वस्त करने से पहले फहराया था झंडा : लल्लू तिवारी तब सुर्खियाें में आ गए थे जब विवादित ढांचा पर चढ़कर भगवा झंडा फहराते उनकी तस्वीर एक पत्रिका में छपी थी। इसके बाद उनकी तलाश सरगर्मी से हाेने लगी। ढांचा ध्वस्त हाेने के बाद सरकार ने भीड़ हटाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाईं। वे उसी ट्रेन से धनबाद लाैटे ताे बाहर कर्फ्यू लग चुका था। बचते-बचाते अपने मुहल्ले के करीब आए ताे पता चला कि उनकी शिनाख्त हाे चुकी है। पुलिस घर काे घेरे हुए है। उनके संदेह में उनके बड़े भाई दिलीप तिवारी काे हिरासत में ले लिया गया है। लिहाजा वे उल्टे पांव भागे।
लाैटने पर एक सप्ताह श्मशान में साेए : तिवारी की यादाें में उन दिनाें की एक-एक घटना आज भी ताजा है। वे बताते हैं कि पुलिस से बचने के लिए उन्हें लगभग एक सप्ताह तक हीरापुर श्मशान में साेना पड़ा। उनके साथ ही पार्क मार्केट के प्रकाश सिंह चाैधरी भी अयाेध्या गए थे। कुछ दिन बाद वे भी लाैटे ताे श्मशान पहुंचे। उनके ब़े भाई विजय सिंह चाैधरी ने देवघर के सिकटिया स्थित अपनी ससुराल में दाेनाें के ठहरने की व्यवस्था कराई। लगभग तीन महीने बाद जब सबकुछ शांत हुआ ताे वे लाैटे। हालांकि उनके नाम पर मुकदमा हाे चुका था। लगभग 18 वर्ष मुकदमा लड़ने के बाद कुछ महीने पहले उसे निरस्त किया गया।