एक महीने में कोरोना से दोबारा संक्रमित हुआ युवक, डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे इसकी वजह

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RGA न्यूज़ कानपुर संवाददाता

कानपुर:-  कोरोना वायरस का कहर घातक होता जा रहा है। अब तो ठीक होने के बाद फिर से मरीज कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। हैलट अस्पताल में एक ऐसा केस सामने आया है, जिसमें इलाज के एक महीने के अंदर एक व्यक्ति को दोबारा कोरोना का संक्रमण हो गया। हैलट के आर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों के लिए दूसरी बार मरीज का कोरोना पॉजिटिव आना पहेली से कम नहीं है। इसको लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कहते हैं नया वायरस है, इसलिए इस पर अभी बहुत अधिक शोध-अध्ययन नहीं हुए हैं।

 पनकी के रतनपुर का रहने वाला 45 वर्षीय युवक हादसे में घायल हो गया था। उसके पैर की हड्डी टूट गई थी। स्वजन उसे तीन जुलाई को आर्थोपेडिक विभाग की सेमी इमरजेंसी में लेकर आए थे। आपरेशन से पहले उसकी कोविड की जांच कराई, जिसकी पांच जुलाई को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हैलट के कोविड हॉस्पिटल में 12 दिन तक भर्ती रहा। दोबारा जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। सात दिन वह घर पर क्वारंटाइन रहा। एक माह बाद दोबारा ऑपरेशन के लिए तीन अगस्त को हैलट में भर्ती हुआ। उसकी दोबारा कोविड की जांच कराई गई, जिसमें फिर से संक्रमण की पुष्टि हुई है

एक माह से ऑपरेशन अटका

उसकी पत्नी का कहना है कि उसमें कोरोना जैसे कोई भी लक्षण नहीं हैं। फिर भी रिपोर्ट में कोरोना का संक्रमण आ रहा है, जिसके कारण एक माह से पैर का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। इस वजह से उनकी हालत बिगड़ती जा रही है। पहले 12 दिन इलाज चला, अब फिर से 10 दिन और इलाज चलेगा।

डॉक्टर भी हैरान

आर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार का कहना है कि हादसे में घायल मरीज की रिपोर्ट देखकर खुद अचरज में पड़ गए हैं। एक माह के अंदर दो बार कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आना समझ से परे है। इसके लिए माइक्रो बायोलॉजी विभाग को लिखा है। मरीज को कोरोना के इलाज के लिए आइसोलेट करा दिया है। उसकी रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही पैर का ऑपरेशन होगा।

यह है विज्ञान

दरअसल, डॉक्टरों का मानना था कि मेडिकल साइंस के मुताबिक शरीर में जब कोरोना वायरस यानी एंटीजन (बाहरी तत्व) प्रवेश करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी आइजीएम एंटी बाडी उसे खत्म करने के लिए बनती है, जो 15-20 दिन में खत्म हो जाती है। उसके बाद स्थायी रूप से लड़ाई के लिए आइजीजी एंटीबाडी मेमोरी सेल में बनती है, जो कभी भी वायरस का अटैक होने पर उससे शरीर की रक्षा करती है। ऐसे में मरीज में दूसरी बार उस वायरस के संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।

विशेषज्ञों की राय

यह एकदम नया वायरस है। इस पर अभी बहुत अधिक शोध और अध्ययन नहीं हुआ है, इसलिए बहुत कुछ कहा नहीं जा सकता है। वायरस के चीन, यूरोप, इटली व अमेरिका के अलग-अलग स्टेन हैं। एक फीसद यह संभावना हो सकती है कि युवक को पहली बार कोरोना वायरस के दूसरे स्टेन का संक्रमण हुआ हो, दूसरी बार में किसी दूसरे स्टेन का।

-डॉ. विकास मिश्रा, माइक्रोबायोलॉजिस्ट कानपुर

 कोरोना एक नया वायरस है। जो आरएनए बेस्ड वायरस है। इसकी सबसे अच्छी एवं विश्वसनीय जांच आरटी-पीसीआर ही है। इसके जरिए वायरस का पता लगाया जाता है। वायरस ङ्क्षजदा है या मरा, यह नहीं पता चलता है। इसके लिए कल्चर जांच है, जो फिलहाल कहीं नहीं हो रही है। कई बार गले में मरा वायरस रहता है, जो जांच में डिटेक्ट हो जाता है, जबकि मरीज में कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए एक से डेढ़ महीने तक रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने दस दिन में बिना जांच के डिस्चार्ज करने की गाइडलाइन दी है, जिसके बाद सात दिन घर पर होम क्वारंटाइन रहने के बाद 18वें दिन बाद अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर सकता है।

-डॉ. अतुल गर्ग, एसोसिएट प्रोफेसर संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ 

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