कोरोना वायरस बना रहा फेफड़ों में जानलेवा थक्का, बंद हो रहे ऑक्सीजन जाने के सारे रास्ते

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RGA  न्यूज़ लखनऊ

COVID-19 in UP कोरोना वायरस का संक्रमण ब्लड क्लॉटिंग कर रहा है। कोरोना वायरस इतना भयानक हो गया है कि यह तो फेफड़ों की नसों में ब्लड का थक्का बना रहा है।..

लखनऊ:- वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण का रूप दिनों-दिन बदलता जा रहा है। अब तो बिना किसी लक्षण के ही लोग इसकी चपेट में हैं और यह फेफड़ों में जानलेवा थक्का भी बना रहा है। जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन जाने के सारे रास्ते बंद हो रहे हैं और इससे संक्रमित लोग दम तोड़ रहे हैं।

पृथ्वी पर सबसे कीमती चीज यानी सांस पर हमला करने वाले कोरोना वायरस ने अब फेफड़ों में ही सांस रोकने की जुगत कर ली है। अब कोरोना वायरस का संक्रमण ब्लड क्लॉटिंग कर रहा है। कोरोना वायरस इतना भयानक हो गया है कि यह तो फेफड़ों की नसों में ब्लड का थक्का बना रहा है। जिससे कि ब्लड क्लॉटिंग के कारण ऑक्सीजन के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। इस वजह से कोरोना से जूझ रहे मरीजों की अब अचानक मौत हो जा रही है। बिना किसी लक्षण के भी मरीज इसका शिकार बन रहे हैं। 

प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की कोविड-19 थिंकटैंक के सदस्य और केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि कोरोना वायरस, फेफड़ों की नसों में ब्लड का थक्का बना रहा है। इसके कारण अब लोगों की अचानक मौत हो जा रही है। उन्होंने बताया कि ब्लड क्लॉटिंग के कारण ऑक्सीजन के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। इस वजह से कोरोना से जूझ रहे मरीजों की अचानक मौत हो जा रही है। कोरोना वायरस में अन्य बीमारियों की अपेक्षा ज्यादा क्लॉटिंग हो रही है, इसी वजह से मरीजों की सडन डेथ हो जा रही है।

डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि कोविड-19 पॉजिटिव केस में ज्यादा क्लॉटिंग क्यों हो रही है, इस पर अभी रिसर्च चल रहा है। पूरे विश्व भर में क्लॉटिंग के बहुत सारे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 पॉजिटिव केस में क्लॉटिंग है या नहीं, यह जांचने के लिए हम डी डायमर का टेस्ट कराते हैं। इस टेस्ट में अगर डी डायमर का लेवल बढ़ा हुआ है तो हमलोग ट्रीटमेंट का प्रोटोकॉल फॉलो करते हैं और मरीजों को थक्के कम करने के लिए यानी कि खून पतला करने वाली दवा देते हैं। जिससे जमा हुए थक्के को कम किया जा सके और मरीज को बचाया जा सके।

डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि एक्स-रे और सीटी स्कैन के जरिए भी क्रूड एनालिसिस करके अंदाजा लगाया जा सकता है की क्लॉटिंग है या नहीं। इसके अलावा पल्मोनरी हाइपरटेंशन और राइट फेलियर से भी इसका पता चल सकता है। अब तो ऑटोप्सी से ही इसकी वास्तविक पड़ताल होती है। ऐसे में ऑटोप्सी के जरिए मृत शरीर से ऑर्गेंस निकाल कर उनकी जांच की जाती है और पता किया जाता है कि मौत का कारण क्लॉटिंग है या फिर किसी अन्य कारण से मरीज ने दम तोड़ा है। 

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