शास्त्रीय गायक पं. जसराज जी को दी श्रद्धांजलि

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RGA न्यूज़़ बरेली
अब पंडित जसराज नहीं रहे.
लो  मधुरतम  साज  नहीं  रहे.
   अचानक गमगीन खबर मिली, 
   दोस्तों  रसराज    नहीं   रहे.
छिपे अनेक राग दिल में वो, 
संगीत  के   राज   नहीं   रहे.
   अब ओम नमः शिवाय मंत्र के, 
   स्वर  साधक रियाज नहीं  रहे.
नमो भगवते वासुदेवाय, 
सिद्वमयी रिवाज नहीं रहे.
   शास्त्रीय धुनों के शिल्पी, 
   मेवाती  मिजाज नहीं रहे.
माधुर्य  रागों  के रसमयी, 
यशस्वी यशराज नहीं रहे. 
   जसराज जी के न रहने से, 
   मन के राजकाज नहीं रहे.
जीवनी पढ़ी तो जाना, वो, 
कभी भी नाराज नहीं रहे.
   बड़ों से सीख खुद बने, मगर
   गैर  की  आवाज  नहीं   रहे  . 
                

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