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RGA न्यूज़ रायपुर छत्तीसगढ़
रायपुर:- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मूर्तिकार इस बार कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमाओं में जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। गिलोय, दालचीनी, सोंठ, मुलेठी, जावित्री, लौंग, छोटी व बड़ी इलायची के इस्तेमाल से बने गणेशजी आयुर्वेद के प्रति भी आस्था जगाएंगे। आयुर्वेद को बढ़ावा मिले और कोरोना से लड़ने के लिए लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो, इस थीम पर इस बार गणेशजी विराजेंगे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोरोना महामारी के प्रकोप से बचने के लिए लोगों को आयुर्वेद आधारित वस्तुओं का काढ़ा बनाकर पीने की सलाह दी है।
प्रतिमा के हर भाग में अलग-अलग जड़ी-बूटी का इस्तेमाल
तीन फीट की मूर्ति के हर भाग में अलग-अलग जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया गया है। सिर आधा किलो दालचीनी से, धोती को पांच किलो सोंठ से, पगड़ी आधा किलो हल्दी और एक पाव लौंग से, माला एक पाव जावित्री और जायफल से, आशीर्वाद वाले हाथ को 50 ग्राम मुलेठी से और कान को काली मिट्टी से तैयार किया गया है। पूरे शरीर में ढाई किलो गिलोय का इस्तेमाल किया गया है।
मूर्तिकार बोले-जागरूकता की है कोशिश
रायपुरा निवासी मूर्तिकार शिवचरण यादव व उनके सहयोगियों ने बताया कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से लोग कोरोना के शिकार हो रहे हैं। औषधीय लंबोदर तीन फीट के हैं। इसे बाल गजानंद किशोर समाज समिति रामसागर पारा के लिए तैयार किया गया है। विभिन्न गणेश उत्सव समितियों ने इसी तरह की मूर्तियां बनाने के आर्डर दिए हैं, ताकि लोगों में जागरूकता आए।
ऐसी मूर्तियों को देखना और छूना भी फायदेमंद होगा। जड़ी-बूटियों की सुगंध वातावरण को शुद्ध करेगी। यह गंध हमारे मस्तिक में भी लाभकारी प्रभाव छोड़ेगी। कोरोना की वजह भय है, ऐसे गणपति को देखने से रोग का भय निकल जाएगा। यह सराहनीय पहल है। - डॉ. रूपेंद्र चंद्राकर, प्राध्यापक, आयुर्वेद महाविद्यालय