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RGA न्यूज़ समाचार
गावस्कर ने कहा कि लंबे समय तक चेतन मेरे खिलाफ रहे क्योंकि उन्हें लगता था कि जब वह टीम से बाहर हुए तो मैंने उनकी तरफदारी नहीं की।...
सुनील गावस्कर का कॉलम :
यह दो सप्ताह का समय मेरे लिए कतई यादगार नहीं रहा। सबसे पहले खबर आई कि महेंद्र सिंह धौनी ने संन्यास ले लिया है और इसके अगले ही दिन स्तब्ध करने वाली खबर आई कि मेरे सलामी जोड़ीदार रहे चेतन चौहान का देहांत हो गया।
धौनी का संन्यास पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से चर्चा का विषय था, जब उन्होंने 2019 विश्व कप सेमीफाइनल में अपना आखिरी मैच खेला था। ऐसे में यह चौंकाने वाली खबर नहीं थी, लेकिन चेतन के निधन ने मुझे झकझोर दिया। मुझे याद है कि मैंने कोरोना वायरस के कारण उनके अस्पताल में भर्ती होने के अगले दिन 13 जुलाई को मैसेज किया था और उनके जल्द ठीक होने की कामना की थी। इसके बाद लंबे समय तक उनकी कोई खबर नहीं थी। मैंने सोचा कि वह ठीक हो गए हैं और उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री होने के कारण अपने काम में व्यस्त हो गए होंगे। इसके बाद यह सुनकर बहुत धक्का लगा कि वह वेंटिलेटर पर हैं और अगले ही दिन सब खत्म हो गया।
भारत के सलामी जोड़ीदार बनने से पहले ही हम एक-दूसरे को जानते थे। उन्होंने मेरे पदार्पण करने से पहले ही भारत के लिए मैच खेल लिया था। मैं ब्रेबोन स्टेडियम के नॉर्थ स्टैंड में था जहां से मैंने उन्हें टेस्ट मैच की दूसरी पारी में हुक शॉट पर छक्का मारते देखा। हमने पहली बार एक साथ टॉनी लुइस की एमसीसी टीम के खिलाफ एकसाथ बल्लेबाजी की थी। इसके बाद वह टीम इंडिया से 1977 तक बाहर रहे। इसके बाद दोबारा उन्हें 1981-82 में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में अचानक बाहर कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक चेतन मेरे खिलाफ रहे, क्योंकि उन्हें लगता था कि जब वह टीम से बाहर हुए तो मैंने उनकी तरफदारी नहीं की। उस समय आज की ही तरह भारतीय कप्तान चयन समिति का एक सदस्य होता था, जिसके पास वोट का हक नहीं होता था। उस वक्त चयन समिति में पॉली उमरीगर (चेयरमैन), दत्तू पड़कर और सीटी सरवटे जैसे दिग्गज थे। पूर्व कप्तान गुलाम अहमद बोर्ड के सचिव थे।
गावस्कर ने कहा कि यह थोड़ा सा अनुचित होगा कि चयन समिति की बैठक की बात बताई जाए, खासकर तब जब उनमें से कोई जिंदा नहीं है, लेकिन मुझे याद है मैंने समिति से पूछा था कि आप ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर मेरे खराब प्रदर्शन के बावजूद मुझे कप्तान क्यों बनाना चाहते हैं? और क्यों चेतन को टीम में नहीं लेना चाहते हैं, जिसके लिए यह दोनों दौरे बेहद अच्छे रहे थे। मैंने यह भी कहा कि चेतन को कम से कम दो टेस्ट में तो मौका देना चाहिए, अगर वह फेल होता है तो मत लीजिए, लेकिन वे बहरे कान से कुछ नहीं सुन सके।