

RGA न्यूज़ लखनऊ समाचार
यूपी एटीएस बलरामपुर निवासी आतंकी मु.मुस्तकीम खान उर्फ यूसुफ के स्थानीय कनेक्शनों से लेकर उसके मूवमेंट के बारे में जानकारियां जुटा रही हैं। ...
लखनऊ:- दिल्ली में पकड़े गए इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रॉविंस (आइएसकेपी) के आतंकी मु.मुस्तकीम खान उर्फ यूसुफ से उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (यूपी एटीएस) जल्द सीधे पूछताछ करने की तैयारी कर रहा है। जल्द एटीएस की एक टीम दिल्ली जाकर यूसुफ से कई बिंदुओं पर सवाल-जवाब करेगी। एडीजी एटीएस डीके ठाकुर का कहना है कि इसके लिए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। बलरामपुर निवासी यूसुफ के स्थानीय कनेक्शनों से लेकर उसके मूवमेंट के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही हैं। इसके साथ ही सूबे में सक्रिय आतंकी संगठनों के एजेंटों की छानबीन भी तेज कर दी गई है। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद जिस तरह सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश रची गई, उसके दृष्टिगत भी एटीएस कई संदिग्धों के बारे में पड़ताल में जुटी है।
उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठनों की पैठ लंबे समय से रही है। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को संपर्क कर जेहाद के लिए उकसाने व एजेंट बनाने की गतिविधियां तेज हुई हैं, उससे जांच एजेंसियां और सतर्क हो गई हैं। एटीएस ने जून माह में बरेली से अल-कायदा के एजेंट मुहम्मद इनामुल हक को पकड़ा था। इनामुल हक बरेली में मु.शोएब उर्फ अबु मुहम्मद अल हिंदी के फर्जी नाम से रह रहा था। इनामुल सोशल मीडिया के जरिए अल-कायदा के संपर्क में आया था और दूसरे युवकों को जेहाद के लिए उकसाने की गतिविधियों मेें शामिल था।
इनामुल हक से पूछताछ के आधार पर ही जम्मू निवासी उसके सहयोगी सलमान खुर्शीद वानी को गिरफ्तार किया गया था। सलमान ने बागपत के एक संस्थान से असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन का कोर्स किया था। तब छानबीन में यह भी सामने आया था कि इनामुल, सलमानव कुछ अन्य युवकों की एक मीटिंग दिल्ली में होनी थी। हालांकि वह मीटिंग रद हो गई थी। एटीएस को इस बात की भी आशंका है कि दिल्ली में पकड़े गए यूसुफ का इनामुल व उसकी तरह के दूसरे एजेंटों से संपर्क भी हो सकता है। एटीएस ऐसे कई बिंदुओं पर पड़ताल कर रही है।
उत्तराखंड से जुड़े हो सकते हैं मुस्तकीम के तार : खाड़ी देशों से आतंक का सफर शुरू करने वाला मुस्तकीम अपने मंसूबों को अंजाम देने के बाद परिवार सहित विदेश भागने की फिराक में था। इसके लिए उसने पत्नी और बच्चों के पासपोर्ट भी तैयार करा लिए थे। मुस्तकीम वर्ष 2016 में 15 दिन कतर में रहकर अपने घर लौट आया था, जबकि उसके दो भाई अब भी कतर में ही हैं। कतर जाने से पहले ही उसने आतंक की राह चुन ली थी। इसी प्लान के तहत उसने उत्तराखंड जाकर पीओपी का काम किया। वहां चोटिल होने के बाद गांव आकर दुकान की आड़ में देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने का प्लान तैयार किया।
पाकिस्तान के इशारे पर कर रहा था काम : पांच साल से अधिक समय सऊदी अरब व दुबई में गुजारने के बाद मुस्तकीम ने आतंक की दुनिया में कदम रखा था। 2015 में वह आइएसकेपी के सरगना यूसुफ अल हिंदी के जरिए संगठन से जुड़ा। इसके बाद 2016 में कतर से लौटकर उत्तराखंड में प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम शुरू किया। 2017 में जब यूसुफ सीरिया में मारा गया, तो मुस्तकीम उत्तराखंड में ही था। यहां से वह पाकिस्तान के अबू हफ्जा के इशारे पर काम कर रहा था। चोटिल हो जाने के कारण वह गांव लौट आया, लेकिन अपने नापाक मंसूबों पर काम करता रहा। अलीगढ़ व कर्नाटक के लोग भी उसके संपर्क में थे।
स्लीपर सेल की तलाश में 'ऑपरेशन निशान' : यूसुफ की गिरफ्तारी के बाद भारत-नेपाल सीमा के समानांतर 82 गांवों में खुफिया एजेंसियां और पुलिस की विशेष टीम 'ऑपरेशन निशान' चला रही है। इसके तहत आतंकी के स्लीपर सेल की तलाश हो रही है। दिल्ली पुलिस व एटीएस से मिले इनपुट के आधार पर बाहर से आकर गांवों में बसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। जिले में भारत-नेपाल की 117 किलोमीटर की खुली सीमा है। इससे जुड़े विशेष समुदाय बाहुल्य लगभग 82 गांव हैं। इन गांवों में खुफिया, एसएसबी व पुलिस की विशेष टीमें मुखबिरों के जरिए बाहरी प्रांतों से आकर बसे लोगों की जानकारी जुटा रही है। जांच में रिश्ते जोड़कर दूसरे देशों के नागरिकों को भारतीय नागरिकता दिलाने का भी राजफाश हुआ है। शुरुआती जांच में एक साल के अंदर यहां आकर बसे लोगों की संख्या 50 से अधिक बताई जा रही है।