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पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक हरेंद्र पाल सिंह हॉकी के खिलाड़ी भी रहे हैं।वह पुलिस की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे। ...
बरेली:- पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक हरेंद्र पाल सिंह हॉकी के खिलाड़ी भी रहे हैं।वह पुलिस की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी कप्तानी में यूपी पुलिस टीम को हॉकी में 32 साल बाद चैंपियनशिप जिताई थी। वह पुलिस टीम के चार साल तक कोच भी रहे। वह सिपाही से प्रतिसार निरीक्षक तक के सफर में हॉकी का अहम रोल मानते हैं।
गाजियाबाद जिले के थाना सिकंदाराबाद क्षेत्र के गांव जलालपुर ढिंढर के रहने वाले हरेंद्र पाल सिंह ने 1984 में सिपाही के पद पर पीएसी ज्वाइन की थी। इसी नौकरी में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। पीटीसी मुरादाबाद में पहली बार पीएसी आरटीसी ट्रेनिंग टीम का हिस्सा रहे और शानदार प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्हें पहली बार डीजीपी से 25 रुपये का इनाम मिला। यहीं से हॉकी में रम गए और उस समय के इंटररेंज आज जोन प्रतियोगिताअें में हिस्सा लिया। हरेंद्र पाल सिंह गोल कीपर की भूमिका निभाते थे।
उनका प्रदर्शन देख नार्थ जोन में लिया गया। इस टीम का हिस्स रहते हुए उनकी टीम ने ब्रांज मेडल जीता। इसके बाद उन्हें यूपी पुलिस टीम में शामिल किया गया। इसमें कप्तानी करते हुए उन्होंने यूपी पुलिस टीम को 32 साल बाद चैंपियन बनाया था। 32 साल की उम्र में वर्ष 1997 में उन्हें राष्ट्रीय टीम में हिस्सा बने। बैंगलोर में राष्ट्रीय टीम में यूपी को रिप्रजेंट करते हुए उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था। उम्र अधिक होने के चलते उनके युवा साथी उन्हें ताऊ बुलाते थे। 1998 को उन्हें यूपी पुलिस टीम का कोच बना दिया गया। 2002 तक यूपी टीम का कोच रहने के बाद वह हॉकी से दूर हो गए।
अब बरेली में प्रतिसार निरीक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यहां भी बीते वर्ष उन्होंने हॉकी टूर्नामेंट कराया था।भाई भतीजावाद को मानते गलतहरेंद्र पाल सिंह कहते हैं कि प्रदेश में खेलों में भाई भतीजावाद हमेशा हावी रहा। बताते हैं कि 1993 में जब राष्ट्रीय टीम में सलेक्शन की बात थी तो उनके साथ भी यह भेदभाव हुआ। जब 1997 में उन्हें सलेक्ट किया गया तब उनकी उम्र अधिक हो गई थी इसके चलते वह ज्यादा दिन नहीं खेल सके। इस समय भी यह सब चल रहा है। खिलाड़ियों को सुविधाएं और संसाधन मुहैया नहीं हो पाते।