सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा, राम मंदिर का निर्माण लोकमंगल का सर्वोत्कृष्ट कार्य Gorakhpur News

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सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा राम मंदिर का निर्माण लोकमंगल का सर्वोत्कृष्ट कार्य है। वह महंत दिग्विजयनाथ और मंहत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे। ...

गोरखपुर:- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या में जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण शुरू होने से समूचा देश गौरवान्वित है। यह मदिंर निर्माण का ही नहीं बल्कि देश में नए युग का शुभारंभ है। लाखों श्रीराम भक्तों के बलिदान के बाद आज इस शुभकार्य का मार्ग प्रशस्त हो सका है। राम का कार्य लोक कल्याण का कार्य है, इस दृष्टि से राम मंदिर निर्माण को लोक मंगल का सर्वोत्कृष्ट कार्य कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री सोमवार को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और मंहत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। 

महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह का औपचारिक शुभारंभ 

इस अवसर पर ’राम मंदिर का शुभारंभ, नए युग का आरंभ’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का सर्वसम्मति से जन्मभूमि पर श्रीराम मन्दिर निर्माण का निर्णय और उसके बाद आमजन की उस निर्णय के प्रति सहर्ष सहमति भारतीय लोकतंत्र के शाश्वत मूल्यों व आदर्शों का प्रत्यक्ष उदाहरण है। दरअसल यह केवल मंदिर निर्माण ही नहीं बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और पूर्वजों के प्रति सम्मान भाव की परिणति भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में शासन सत्ता की स्थापना से रामराज्य की स्थापना को जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किए जा रहे विभिन्न लोककल्याणकारी कार्य और राम मंदिर निर्माण रामराज्य की कड़ी ही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सकारात्मक सोच, जो लोक कल्याण के मार्ग से ’सबका साथ सबका विकास’ के मूल मंत्र पर आधारित है, वह भारत की समृद्ध ज्ञान परम्परा का ही पर्याय है। 

मंदिर ने निर्माण से हुई महंतद्वय के संकल्पोंं की हुई सिद्धि

राममंदिर निर्माण आंदोलन में गोरक्ष पीठ की भूमिका की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी ऐसा नहीं है, जो भगवान राम के दिव्य आदर्शों से प्रभावित न हो। यही वजह है कि हर कालखंड में सरकार चाहे किसी की और कैसी भी रही हो, समाज राम मंदिर के लिए निरंतर संघर्ष करता रहा। योगी ने कहा कि मंदिर निर्माण से महंतद्वय (महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ) के संकल्पों की सिद्धि हुई, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन रामराज्य की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया था।

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