आठ में सात सीट पर तीन नवंबर को मतदान, 10 को आएंगे नतीजे

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RGA:- न्यूज़

निर्वाचन आयोग ने आज बैठक के बाद आठ सीटों पर होने वाले उप चुनाव का कार्यक्रम फाइनल कर दिय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की आठ विधानसभा सीट पर तीन नवंबर को उप चुनाव होंगे। निर्वाचन आयोग ने आज बैठक के बाद आठ में सात सीट पर होने वाले उप चुनाव का कार्यक्रम फाइनल कर दिया है। रामपुर की स्वार सीट पर उपचुनाव नहीं होगा।

केंद्रीय निर्वाचन आयुकत उमेश सिन्हा ने कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया है। निर्वाचन आयोग के प्रमुख सचिव सुमित मुखर्जी के अनुसार उत्तर प्रदेश की आठ में से सात रिक्त सीटों पर नौ नवंबर को मतदान होगा। इसके बाद 10 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आएंगे। उप चुनाव के लिए अधिसूचना नौ अक्टूबर को जारी होगी। नामांकन की अंतिम तिथि 16 अकटूबर तय की गई है जबकि 17 को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 19 अकटूबर को नाम वापसी की अंतिम तिथि होगी। मतदान तीन नवंबर को होगा और मतगणना दस नवंबर को होने के बाद परिणाम घोषित होंगे।  

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय शुक्ला की तरफ से सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर संबंधित जिलों में आदर्श आचार संहिता लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। कोरोना महामारी की वजह से कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन कराते हुए उपचुनाव कराए जाएंगे। इसके साथ ही सभी जिलों में किसी भी प्रकार के ट्रांसफर पोस्टिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई ह

रामपुर की स्वार सीट पर अभी चुनाव नहीं होगा। यहां से आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम खां विधायक थे। गलत आयु प्रमाण पत्र देने के मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता रद हो गई है। यहां से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी हैदर अली खां को घोषित किया है।

राष्ट्रपति के पास इस मामले में सुनवाई 

अब्दुल्लाह आजम के 6 साल चुनाव ना लड़ने पर रोक लगाने की शिकायत राष्ट्रपति से की गई है। जब तक राष्ट्रपति के पास इस मामले में सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक चुनाव नहीं कराया जा सकता है। अब्दुल्ला आजम के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय ने बीते गुरुवार को राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। जिस पर भारत निर्वाचन आयोग से सहमति के बाद उनके चुनाव लड़ने पर रोक का आदेश जारी किया जाएगा। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2018 को अब्दुल्ला आज़म को भ्रष्ट आचरण का दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी थी। इसे आधार मानते हुए विधानसभा सचिवालय से इस सीट को 16 दिसंबर 2019 से रिक्त घोषित कर दिय

सिर्फ डेढ़ साल के लिए बन सकेंगे विधायक

यूपी में भाजपा को काबिज हुए लगभग साढ़े 3 साल का वक्त बीत चुका है। ऐसे में अब निर्वाचित विधायकों के पास सदन में बैठने का बहुत ज्यादा मौका नहीं होगा। सभी 8 निर्वाचित विधायक डेढ़ साल से भी कम वक्त के लिए निर्वाचित होंगे। दरअसल, 2022 में यूपी एक बार फिर विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा।2017 विधानसभा चुनाव में 8 में से 6 पर भाजपा का कब्जा था। उसमें से निर्वाचित विधायक कमल रानी वरुण, पारसनाथ यादव, वीरेंद्र सिरोही, जन्मेजय सिंह, चेतन चौहान का निधन हो चुका है।

चौदह महीने से खाली टूंडला विधानसभा (आरक्षित) सीट

चौदह महीने से खाली चल रही सुहाग नगरी की टूंडला विधानसभा (आरक्षित) सीट  पर उपचुनाव का बिगुल बज गया। एक महीने पहले शुरू हुईं सियासी दलों की तैयारियों में फिलहाल भाजपा आगे चल रही है। दोनों उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं। इसके साथ ही बसपा का सम्मेलन हो चुका। कांग्रेस और सपा स्थानीय स्तर पर जुटी है। चुनाव की तारीख तय होते ही टिकट की कतार में लगे सूरमाओं ने सक्रियता तेज कर दी है। बसपा ने संजीव चक, सपा ने महराज सिंह धनगर तथा प्रसपा ने प्रकाश मौर्य को प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा के डॉ.एसपी सिंह बघेल के सांसद होने पर खाली इस सीट पर प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। 

चुनाव आयोग ने आठ में से जिन सात सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया है। उसमें अमरोहा जिले की नौगांव सादात, बुलंदशहर की बुलंदशहर सदर, आगरा की टूंडला, देवरिया की देवरिया सदर, जौनपुर की मल्हनी, कानपुर नगर की घाटमपुर और उन्नाव की बांगरमऊ शामिल हैं। इन सात सीटों में से छह पर 2017 में भाजपा का कब्जा था। जौनपुर की मल्हनी समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी।

इस बार मुकाबला और रोमांचक होगा

बहुजन समाज पार्टी इससे पहले उप चुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारती थी। इस बार बसपा के मैदान में होने से मुकाबला रोमांचक होगा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीन प्रत्याशी का नाम लगभग फाइनल कर दिया है। इससे पहले आमतौर पर अभी तक बसपा उपचुनाव से परहेज ही करती रही है, लेकिन इस बार वही भी अपनी किस्मत आजमा रही हैं। यदि एक भी सीट उसके खाते में आ गई तो 2022 के लिए एक मजबूत संदेश जाएगा। इसके साथ ही इस बार तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में रहेंगे। 

1- मल्हनी, जौनपुर : जौनपुर की यह अहम सीट 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव ने जीती थी। इनके निधन के कारण ये सीट खाली हुई है। उनके खिलाफ बाहुबली धनंजय सिंह भी निषाद पार्टी से उतरे थे। यादव और ठाकुर बाहुल्य इस सीट पर इस बार भी मुकाबला कठिन होगा। 

2- बांगरमऊ, उन्नाव : भाजपा से निष्कासित दुष्कर्म कांड के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता जाने के कारण सीट खाली हुई है। यहां से भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर 2017 के चुनाव में जीते थे। 

3- देवरिया सदर, देवरिया: भाजपा के जन्मेजय सिंह के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है।

4- टूण्डला, फिरोजाबाद: योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल के आगरा से भाजपा से सांसद बनने के बाद से यह सीट खाली चल रही है। बीते वर्ष उपचुनाव में इस सीट पर चुनाव नहीं कराए जा सके थे क्योंकि मामला कोर्ट में चला गया था। अब यहां चुनाव होंगे।

5- बुलंदशहर सदर, बुलंदशहर: 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के वीरेन्द्र सिंह सिरोही विधायक चुने गये थे। उनके निधन के कारण यह सीट खाली हुई है। 

6- घाटमपुर, कानपुर शहर: योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री कमलरानी वरूण के निधन से यह सीट खाली हुई है। मंत्री कमलरानी वरुण का निधन कोरोना संक्रमण के कारण हो गया था। 

7- नौंगाव सादात, अमरोहा: पूर्व सांसद तथा टेस्ट क्रिकेटर 2017 के चुनाव में भाजपा से विधायक चुने गये थे। वह योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे मंत्री जिनका कोरोना से निधन हुआ। इसी कारण यह सीट खाली है।

8- स्वार, रामपुर: रामपुर से सांसद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां के कम उम्र साबित होने के कारण सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इसी वजह से स्वार की सीट खाली हो गई है। फिलहाल अब्दुल्ला आजम खां का मामला राष्ट्रपति के पास है, इसी कारण यहां मतदान नहीं होगा।

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