हमारे देश में 60 फीसद प्लास्टिक कचरा ही होता है रिसाइकिल, इसको और बढ़ाने की है जरूरत

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RGA:- न्यूज़

 सुंदर बंदरगाह और मोतियों के लिए मशहूर तमिलनाडु के तूतूकुड़ी जिले के बच्चों ने अपने शहर को प्लास्टिक कचरे से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। जिले में सुब्बिआ विद्यालय में पढ़ने वाले 360 छात्रों ने 15 दिन तक अपने पसंदीदा खाद्य उत्पादों के पैकेट्स को इकट्ठा किया और फिर बड़े ही दिलचस्प तरीके से 20 हजार पैकेट्स को वापस निर्माता कंपनियों को भेजा दिया। ईको-फ्रेंडली (पर्यावरण अनुकूल) पैकेजिंग की मांग करते हुए बच्चों ने ब्रिटानिया, नेस्ले, आइटीसी, कैडबरी के प्रबंधकों को लिखा, ‘डियर मैनेजर अंकल, आपका उत्पाद हम सबके बीच काफी पसंद किया जाता है।

हम इसके स्वाद और गुणवत्ता से बहुत खुश हैं, लेकिन प्लास्टिक से बने इनके पैकेट्स से नहीं जो हमारे भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक हैं। इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम इस्तेमाल के बाद आपके उत्पादों के प्लास्टिक से बने पैकेट्स को इकठ्ठा करके आप तक पहुंचाएंगे, ताकि आप उन्हें सुरक्षित तरीके से नष्ट कर सकें। कृपया अगली बार से ईको-फ्रेंडली पैकेट्स में अपने उत्पाद हम तक पहुंचाएं और हमें प्लास्टिक पैकेट्स खरीद कर दोषी महसूस करने से बचाएं। इधर गोंडा में भी बच्चों ने प्लास्टिक ब्रिक बनाकर अपने घर के प्लास्टिक कचरे को प्रकृति में जाने से रोकने का अभियान शुरू किया है।वास्तव में दिन की शुरुआत से लेकर रात को सोने तक हम प्लास्टिक से निíमत संसाधनों से घिरे रहते हैं।

जहां प्लास्टिक के सामान हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत उपयोगी साबित हो रहे हैं, वहीं ये हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी बड़ी ही तेजी से नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत जैसे प्रकृति की पूजा करने और पर्यावरण से मित्रवत नाता रखने वाले देश में भी प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग अब आम बात हो चुकी है। भारत में प्लास्टिक से पैदा होने वाले कचरे का सही तरह से कलेक्शन और निस्तारण की व्यवस्था भी नहीं है। इसके कारण देश में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है।

दरअसल लोग प्लास्टिक का सही इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसका इस्तेमाल करने के बाद लोग इन्हें यूं ही खुल में फेंक देते हैं, जिसके कारण कई समस्याएं खड़ी होती हैं। वास्तव में हमारे देश में 60 फीसद प्लास्टिक कचरा ही रिसाइकिल होता है। इसको और बढ़ाने की जरूरत है। हमें प्लास्टिक का जिम्मेदारीपूर्वक इस्तेमाल करना होगा। हमें वैसे सामान तैयार करने होंगे, जिनका हम दोबारा इस्तेमाल कर सकें। प्लास्टिक कचरा लोग फेंके नहीं, बल्कि बेचें, जैसे कि घर में आने वाले पेपरों को लोग फेंकते नहीं, बेचते हैं। अगर हम भारतीय जिम्मेदार बन जाएं तो किसी भी तरह के प्लास्टिक सामान प्रयोग करें कोई समस्या नहीं होगी। तब तक कपड़े या जूट का झोला लेकर चलने की आदत डाल लें।

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