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RGA:- न्यूज़
टी-20 क्रिकेट मे हमेशा ये माना जाता रहा कि शीर्ष क्रम में चार ऐसे खिलाड़ी होने चाहिए जो आपको बड़ी शुरुआत दे सकें। उनमें से कम से कम दो बल्लेबाज टूर्नामेंट में 500 रन बनाए, जिनमें से टीम के कुल स्कोर के 55-60 प्रतिशत रन इन बल्लेबाजों के बल्ले से निकलें। बेशक ये तथ्य कभी नहीं बदलेंगे, लेकिन अच्छी टीमों ने ये बात समझनी शुरू कर दी है कि वे शीर्ष चार खिलाड़ियों के बाद वे अपने बल्लेबाजी को विपक्षी टीम के हाल पर नहीं छोड़ सकते। उदाहरण के लिए बेंगलुरु को पहले भी इस समस्या से गुजरना पड़ा है जिससे शीर्ष बल्लेबाजों पर काफी अधिक दबाव देखा गया है।
यही वजह है कि अच्छी टीमें पांचवें, छठे और सातवें नंबर के लिए अधिक से अधिक ताकतवर बल्लेबाजों पर निवेश कर रही हैं। हालांकि ऐसे खिलाड़ियों को तलाश करना आसान काम बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि टीम के संतुलन को देखते हुए उनमें से दो खिलाड़ियों के पास कुछ ओवर गेंदबाजी का भी कौशल होना चाहिए। उन पर टूर्नामेंट में टीम के लिए 250 से 300 रन बनाने की जिम्मेदारी होगी और वो भी 150 से अधिक के स्ट्राइक रेट के साथ। अगर ऐसा होता है तो टीम के शीष क्रम को खुलकर खेलने का मौका मिलेगा और यदि 15 ओवरों तक 140 रन पर टीम चार विकेट भी खो देती है तो भी चिंता की बात नहीं है।
ये कोई संयोग नहीं है कि इस साल की दो सबसे मजबूत टीमों के पास डेथ ओवरों के लिए विस्फोटक बल्लेबाज मौजूद हैं। मुंबई की टीम में जहां पांड्या बंधु हार्दिक व क्रुणाल के साथ कीरोन पोलार्ड ये जिम्मेदारी निभा रहे हैं, वहीं दिल्ली की टीम में स्टोइनिस और हेटमायर ऐसे खिलाड़ी हैं। अक्षर पटेल भी अंत में 10 या 12 गेंदों पर 20 रन बनाने का दम रखते हैं। अगर बात करें तो चेन्नई के पास ये भूमिका निभाने के लिए कई खिलाड़ी होते हैं। वहीं कोलकाता के लिए दिनेश कार्तिक व आंद्रे रसेल ये काम करते हैं। यही वो डिपार्टमेंट है जहां इस सत्र में राजस्थान, हैदराबाद और पंजाब की टीम कई मौकों पर संघर्ष करती दिखी है।
निश्चित रूप से निचले क्रम के ऐसे खिलाडि़यों को तलाश करना आसान काम नहीं है। वो इसलिए क्योंकि ये संतुलन बनाना काफी मुश्किल होता है, खासकर तब जब आप इनमें से एक स्थान के लिए एक ऐसा खिलाड़ी तलाश रहे हों जो बल्लेबाजी के साथ अच्छी तेज गेंदबाजी भी कर ले। अगर भारत के नजरिये से देखें तो मध्यम गति के गेंदबाजी ऑलराउंडर की कमी चिंता की बात है। इस मामले में आप हार्दिक पांड्या से आगे कुछ नहीं देख पा रहे हैं। और ऐसे में जबकि वह गेंदबाजी नहीं कर रहे हैं तो टीम का बैलेंस भी एक समस्या है। अगर इस वक्त तय कार्यक्रम के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप खेला जा रहा होता तो ये गंभीर मुद्दा हो सकता था। अगर मैं स्काउट होता तो पांचवें और छठे नंबर के लिए ऐसे बल्लेबाज तलाशता जो गेंदबाजी कर सकते हों।