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मुंबई इंडियंस की टीम के कप्तान रोहित शर्मा (फोटो पीटीआई)
क्या शानदार आइपीएल रहा। बीसीसीआइ को यह दिखाने के लिए पूरे अंक मिलने चाहिए कि जब विदेशों में भी बड़े टूर्नामेंट आयोजित करने की बात आती है तो वे ऐसा शानदार ढंग से कर सकते हैं। क्रिकेट के केंद्र में बीसीसीआइ प्रमुख को शायद ही कभी देखा गया, लेकिन वे शक्तिशाली कार्यकर्ता थे, जिन्होंने अपनी पूरी तैयारी और समर्पण के साथ एक आनंदीय आयोजन को साकार किया।
अमीरात क्रिकेट बोर्ड भी एक सफल आयोजन सुनिश्चित करने के लिए बधाई का पात्र है। तीनों ही स्थलों की पिचों ने इस दिलचस्प टूर्नामेंट के आयोजन में अहम भूमिका निभाई और ग्राउंड स्टाफ को भी बधाई, जिन्होंने तीनों शहरों में इस तरह की अच्छी क्रिकेट के लिए पिचें तैयार कीं। 60 में सात या आठ मैच ऐसे थे जिन्हें आप एकतरफा कह सकते हैं, लेकिन बाकी के सभी मैच बेहद रोमांचक रहे और इनमें से ज्यादातर अंतिम ओवर तक गए। टीवी प्रॉडक्शन भी हमेशा की तरह विश्व स्तरीय था और आइपीएल की कवरेज से दुनिया के अन्य चैनल बहुत कुछ सीख सकते हैं।
मुंबई का एक और बार विजेता बनना बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है। उनके पास किसी की भी जगह लेने के लिए विकल्प तैयार थे और यह तक देखा भी गया जब उनके कप्तान रोहित शर्मा को कुछ मैचों के लिए बाहर होना पड़ा था। हालांकि, उनकी गैरमौजूदगी में भी वे जीत गए।
प्रत्येक टीम के पास कुछ हीरो थे जिनके बिना सभी टीमों ने न्यूनतम छह मैच नहीं जीते होंगे। हालांकि, कुछ सुपर फ्लॉप भी थे, जिनके लिए फ्रेंचाइजी ने बड़ी रकम का भुगतान किया था, अब वे सोच रहे होंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। बेशक खेल में सफलता की कभी गारंटी नहीं होती, लेकिन समर्पण और सही रवैया वही होता है जो टीम चाहती है और दुख की बात यह है कि कुछ ऐसे भी थे जिनमें ऐसा रवैया नहीं था और यह वास्तव में निराशाजनक है।